कहते हैं प्यार सरहदों की बंदिशों को भी नहीं जानता। यह बात जर्मनी से शहर के कपासी गांव पहुंची जूलिया ने साबित कर दी। बुधवार को हिंदु रीति-रिवाज से उन्होंने मूलरूप से कपासी के रहने वाले शिक्षक दीपेश पटेल से शादी की। जर्मनी से आए युवती के परिजन भी इस विवाह के साक्षी बने। दो संस्कृतियों के इस बंधन की खबर सुनकर कई लोग बिन बुलाए भी इस शादी समारोह में शामिल हुए।
उरई से 10 किलोमीटर दूर स्थित कपासी गांव निवासी मानवेंद्र सिंह पटेल मनरेगा में संविदा पर टीए हैं। उनके इकलौते पुत्र दीपेश पटेल ने बनारस हिंदु विश्व विद्यालय से पॉल्टिकल साइंस में मास्टर डिग्री की है। उनके पिता मानवेंद्र ने बताया कि बीएचयू से डिग्री प्राप्त करने के बाद दीपेश, वियतनाम चला गया था। वहां उन्होंने एक साल तक पढ़ाया। इंडोनेशिया व यूएसए में एक कंपनी में काम किया। इसके बाद जर्मनी की कंपनी में काम करने लगे। वहां करीब ढाई साल से रह रहे हैं।
नौकरी के दौरान दीपेश की जूलिया से हुई दोस्ती
जर्मनी में ही नौकरी के दौरान दीपेश की दोस्ती जूलिया से हो गई। दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई। जूलिया ने भारत आना जाना भी शुरू कर दिया। दीपेश और जूलिया के शादी करने के प्रस्ताव को उनके पिता व मां क्रांति ने अनुमति दे दी। जूलिया के परिजनों, रिश्तेदारों को दोनों के रिश्ते से कोई नाराजगी नहीं थी। दोनों ने शादी के लिए सहमति दे दी। रविवार को जूलिया कपासी आ गई। इसके बाद मंगलवार को हल्दी, मेंहदी का कार्यक्रम हुआ। बुधवार को शहर के श्यामा सरोवर होटल में उनका दिन में विवाह संपन्न हुआ। विवाह के दौरान मौजूद परिजनों, दोस्तों व रिश्तेदारों ने उन पर फूलों की वर्षा की।
वर पक्ष ने विवाह समारोह में आए विदेशी अतिथियों का भारतीय व्यंजनों के साथ स्वागत किया। विदेशी मेहमानों ने बताया कि न तो उन्हें हिंदी आती है और न ही भारतीय संस्कृति की कोई खास जानकारी है। इसके बाद भी भारतीय रीति रिवाज में शादी से खुश नजर आए।