वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दायर 73 याचिकाओं पर बुधवार (16 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाओं की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा और इसे संविधान का उल्लंघन बताया. वहीं अब इस मामले पर जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का बयान सामने आया है उन्होंने साफ कहा है कि मुसलमान अपने धार्मिक मामलों में किसी भी तरह की दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं कर सकते.
मदनी ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है जिसमें उन्होंने कहा है ‘जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर बहस शुरू की. मौजूदा वक्फ कानून संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के खिलाफ है और धार्मिक मामलों में दखलंदाजी करता है. यह देश की एकता और अखंडता के लिए बेहद खतरनाक है.
‘देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरत की आंधी चल रही’
इसके आगे जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष ने कहा कि मुसलमान अपने धार्मिक मामलों में किसी भी तरह की दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं कर सकता. मदनी ने कहा कि इस बिल का फायदा उठाकर सांप्रदायिक ताकतें देश की शांति और एकता को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं. उन्होंने कहा कि यह कानून ऐसे समय लाया गया है जब पूरे देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरत की आंधी चल रही है.
‘उम्मीद है हमें अदालत से न्याय मिलेगा’
इससे पहले मदनी ने बताया था कि जमीयत ने न केवल वक्फ संशोधन अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी है, बल्कि कानून को लागू होने से रोकने के लिए अंतरिम निर्देश जारी करने का भी अनुरोध किया है. याचिका में कहा गया है कि यह कानून असंवैधानिक है और वक्फ प्रशासन और वक्फ व्यवस्था दोनों के लिए विनाशकारी है. जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर याचिका का डायरी नंबर 18261/2025 है. उम्मीद है कि हमें अदालत से न्याय मिलेगा’.
3 जजों की बेंच कर रही सुनवाई
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्नवनाथन की बेंच ने बुधवार को वक्फ कानून के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई की. सभी पक्षों को सुनने के बाद तीन सदस्यीय बेंच ने एक आदेश पास करने का प्रस्ताव रखा है. इसके तहत वक्फ बाय यूजर सहित घोषित वक्फ प्रॉपर्टी को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा. केंद्र ने इसका विरोध किया और सुनवाई की मांग की.
गुरुवार को होगी सुनवाई
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आस्था की परवाह किए बिना पदेन सदस्यों के तौर पर लोगों को नियुक्त किया जा सकता है. मगर, अन्य सदस्यों का मुस्लिम होना आवश्यक है. इसके साथ ही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वक्फ कानून को लेकर कोलकाता में हो रही हिंसा पर चिंता भी जताई. इस मामले में अंतरिम आदेश पास करने पर गुरुवार दोपहर 2 बजे कोर्ट में सुनवाई होगी.
दरअसल वक्फ कानून का विरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं की सुप्रीम कोर्ट से मांग है कि अंतिम फैसला आने तक वक्फ संशोधन कानून पर रोक लगाई जाए. वहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि संशोधन पारदर्शिता और प्रशासनिक सुचारुता के लिए आवश्यक हैं. वक्फ कानून लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद 5 अप्रैल को देशभर में लागू कर दिया गया है.