बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की प्रमुख मायावती ने रविवार को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि ये दोनों पार्टियां आरक्षण पर बात करने का नैतिक अधिकार नहीं रखतीं, क्योंकि कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए सरकार के दौरान इन दोनों ने एससी/एसटी को पदोन्नति में आरक्षण देने वाले विधेयक का विरोध किया था. मायावती ने आरोप लगाया कि संसद में इस बिल को सपा के सदस्यों ने फाड़कर फेंक दिया था, और यह बिल अब भी लंबित है.
लखनऊ में एक मीडिया बातचीत के दौरान मायावती ने केंद्र सरकार के ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ विधेयक का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि इससे चुनावी खर्च में कमी आएगी और जनकल्याणकारी योजनाओं में बाधा नहीं आएगी. उन्होंने अन्य पार्टियों से भी इस विधेयक का समर्थन करने की अपील की. मायावती ने यह भी मांग की कि एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए, ताकि इसमें किसी प्रकार की छेड़छाड़ न हो सके. उन्होंने कहा कि नौवीं अनुसूची में शामिल कानून न्यायिक समीक्षा से बाहर रहते हैं, इसलिए यह कदम जरूरी है.
भाजपा पर भी साधा निशाना
मायावती ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर भी हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा की ‘आरक्षण विरोधी मानसिकता’ साफ नजर आती है. उन्होंने कहा कि भाजपा भी इस विधेयक को पास कराने के मूड में नहीं है. मायावती ने संसद में भारतीय संविधान के 75 वर्षों की यात्रा पर हुई चर्चा का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान ने देश को समानता और न्याय दिलाने की पूरी कोशिश की, लेकिन संकीर्ण सोच और जातिवादी राजनीति ने इसे विफल कर दिया. उन्होंने कहा कि देश के करोड़ों लोगों को रोजगार, सम्मानजनक जीवन और न्याय दिलाने में शासकों की विफलता सामने आई है.
भाजपा के संकल्पों पर उठाए सवाल
मायावती ने भाजपा सरकार द्वारा लिए जा रहे ‘संकल्पों’ पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये आम जनता के लिए नहीं हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार संविधान में ऐसे बदलाव करती है, जो किसी पार्टी, व्यक्ति या संस्था के लाभ के लिए हों, तो बीएसपी इसका कड़ा विरोध करेगी.
मायावती ने कहा कि गरीबों और दबे-कुचले वर्गों की पार्टी होने के नाते बीएसपी भाजपा सरकार द्वारा लाए गए ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ विधेयक का स्वागत करती है. उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों को राजनीति से ऊपर उठकर देश और जनता के हित में काम करना चाहिए.