मेरठ। कांवड़ यात्रा के समापन के साथ ही मेरठ की गल्ला, सब्जी और फल मंडियों में कारोबार फिर से रफ्तार पकड़ने लगा है। कांवड़ मेले के 11 दिनों में इन मंडियों को करीब 15 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस दौरान प्रतिदिन केवल 20 से 50 प्रतिशत तक ही कारोबार हो पाया। अब 25 जुलाई से व्यापार फिर से सामान्य स्थिति में लौटता दिख रहा है।
प्रशासन द्वारा 13 जुलाई से रूट डायवर्जन लागू करने के बाद शहर में कामर्शियल वाहनों का प्रवेश रोक दिया गया था, जिससे मंडियों में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुई। दाल, चावल, तेल, घी और खल-चूरी जैसे खाद्य उत्पादों की थोक और फुटकर बिक्री करने वाली नवीन गल्ला मंडी में सामान्य दिनों में प्रतिदिन लगभग दो करोड़ रुपये का कारोबार होता है, जो कांवड़ यात्रा के दौरान करीब 70 प्रतिशत तक घट गया।
सब्जी मंडी की स्थिति भी कुछ ऐसी ही रही। 13 से 24 जुलाई के बीच बाहरी राज्यों से सब्जियों की आवक बंद हो गई, जिससे प्याज, टमाटर, शिमला मिर्च और परमल जैसी सब्जियाँ बाजार से गायब हो गईं। स्थानीय किसानों की सब्जियाँ भी मंडी तक नहीं पहुंच सकीं। सामान्यतः प्रतिदिन 70 से 85 लाख रुपये का सब्जी व्यापार होने वाला यह मंडी क्षेत्र, इस अवधि में सिर्फ 30 लाख रुपये तक सिमट गया।
फल मंडी भी इससे अछूती नहीं रही। आम दिनों में जहां 60 से 70 लाख रुपये का कारोबार होता है, वहीं कांवड़ यात्रा के दौरान यह घटकर सिर्फ 25 लाख रुपये प्रतिदिन तक रह गया। रास्ते बंद होने से बाहरी फलों की आपूर्ति बाधित रही और स्थानीय फल भी सीमित मात्रा में ही मंडी तक पहुंचे।
क्या बोले व्यापारी और मंडी समिति अधिकारी:
- “कांवड़ यात्रा के चलते गल्ला मंडी का 70 फीसदी व्यापार प्रभावित हुआ।”
— मनोज गुप्ता, अध्यक्ष, नवीन गल्ला मंडी एसोसिएशन - “पूरी अवधि में फल, सब्जी और खाद्यान्न की आपूर्ति 10 से 15 प्रतिशत तक ही रह गई थी। अब हालात सुधरने लगे हैं।”
— कुलदीप सैनी, सचिव, मंडी समिति मेरठ