मेरठ:चौधरी चरण सिंह विवि के छात्र और छात्राओं के लिए राहतभरी खबर

मेरठ में चौधरी चरण सिंह विवि में पहली बार छात्र-छात्राओं के पठन-पाठन और अन्य समस्याओं के निस्तारण के लिए नई पहल की गई है। हर मंगलवार को अब छात्रों की समस्याओं को सुनने के लिए बृहस्पति भवन में विवि के सभी अधिकारी बैठेंगे। दोपहर 12 बजे से दो बजे तक इस बैठक में कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, प्रति कुलपति प्रो. वाई विमला, छात्र कल्याण अधिष्ठाता, चीफ वार्डन, रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक उपस्थित रहेंगे। वह छात्रों की हर तरह की समस्याओं को सुनेंगे, उनका निस्तारण कराएंगे। रविवार को विवि की ओर से इसे लेकर कार्यालय आदेश जारी कर दिया गया है।

छात्रों की कई तरह की हैं समस्या

विवि में छात्रों की कई तरह की समस्या है, जिसकी वजह से वह विवि का चक्कर काटने को विवश हैं। इसके चलते कई बार वह बिचौलियों के हाथों ठगी के शिकार भी होते रहते हैं। इन सभी चीजों से राहत देने के लिए कुलपति की ओर से छात्रों से सीधे संवाद करने का प्रयास किया गया है। छात्रों की डिग्री, मार्कशीट समय से मिलने, मूल्यांकन, परीक्षा फार्म भरने सहित अन्य कई तरह की समस्या रहती है।

शोध को बढ़ावा देगी समिति

चौधरी चरण सिंह विवि में शोध कार्यों को गति देने के लिए सेंट्रल इंस्ट्रूमेंट फेसिलिटी का गठन किया गया है।इसमें विज्ञान, कृषि, इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी, चिकित्सा के संकायाध्यक्ष को शामिल किया गया है। यह समिति हर विभाग व शोध छात्रों से उपकरणों के खरीद के लिए प्रस्ताव मांगेगी। संबंधित उपकरण की उपयोगिता, प्रयोग का भी विश्लेषण करेगी। किसी भी उपकरण में कोई डुप्लीकेसी न हो, इसका भी समिति ध्यान रखेगी। समिति को 25 मार्च तक इससे संबंधित प्रस्ताव बनाकर देने के लिए कहा गया है।

पीएचडी प्रवेश में शोधार्थियों की क्षमता का भी परीक्षण

मेरठ : चौधरी चरण सिंह विवि में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर यूजीसी के नियमों के तहत आर्डिनेंस तैयार किया जा रहा है। संकायाध्यक्षों की ओर से इस पर मंथन हो गया है। अब इस सप्ताह कार्यपरिषद की बैठक में इस पर सहमति हो जाएगी। पीएचडी की प्रवेश प्रक्रिया में कई बदलाव किए गए हैं। जिसमें जहां विश्वविद्यालय स्तर पर पीएचडी में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी। वहीं, दूसरी ओर कुलपति के अनुमोदन से नौकरीपेशा लोगों को भी पार्ट टाइम पीएचडी में प्रवेश मिल सकता है। पीएचडी में प्रवेश परीक्षा के साथ अभ्यर्थियों की क्षमता को भी देखा जाएगा कि उसमें शोध को लेकर अभिरुचि कितनी है। 

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