शाहपुर थाना क्षेत्र के काकड़ा गांव में वर्ष 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान वैमनस्यता फैलाने के आरोप में दर्ज मुकदमे में अदालत ने 10 आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया है। विशेष गैंगस्टर कोर्ट के पीठासीन अधिकारी एवं अपर सत्र न्यायाधीश-5 काशिफ शेख ने साक्ष्य के अभाव में यह फैसला सुनाया।
मामले से जुड़े तथ्य बताते हैं कि 7 सितंबर 2013 को नंगला मंदौड़ पंचायत से लौटते समय पुरबालियान गांव के समीप काकड़ा गांव के कुछ किसानों की मौत हो गई थी। इसके बाद क्षेत्र में तनाव फैल गया। 9 सितंबर को वादी इकबाल और नूर मोहम्मद ने अलग-अलग तहरीर देकर गांव के कुछ लोगों के खिलाफ आरोप लगाए।
पुलिस ने जांच के बाद 25 अक्टूबर 2018 को कौटिल्य उर्फ कोकिल, बबलू, टिंकू, विपिन, कल्लू, पूरण, अनिल, कोमल, राजा और धन्ना के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए के तहत आरोपपत्र दाखिल किया था। लेकिन अदालत में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष आरोपों को प्रमाणित करने में असफल रहा। अधिकांश गवाह अपने बयानों से पलट गए।
गवाहों ने दी सफाई — “घटना के दिन दिल्ली में थे”
अदालत में पेश गवाहों और बचाव पक्ष की ओर से कहा गया कि उन्हें झूठा फंसाया गया है। उनके अनुसार, घटना के दिन वे कपड़ा बेचने दिल्ली गए हुए थे। वहीं, वादी इकबाल ने अदालत को बताया कि शाहपुर कैंप में कुछ लोगों ने उनसे कोरे कागजों पर हस्ताक्षर करवा लिए थे।
सभी परिस्थितियों और सबूतों के अभाव को देखते हुए अदालत ने आरोपियों को बरी कर दिया।