जीएसटी-मंडी समिति के रिकॉर्ड में 34 करोड़ का अंतर, 52 लाख की राजस्व चोरी, खाद्य व्यापारियों का बड़ा फर्जीवाड़ा

मुजफ्फरनगर में दाल, चावल और अन्य खाद्य वस्तुएं बेचने वाले कारोबारियों ने तीन साल के भीतर सरकार को लाखों रुपए का चूना लगाया। इस घोटाले का खुलासा जीएसटी पोर्टल पर किए गए व्यापार के आंकड़ों में भारी अंतर से हुआ। जानकारी के अनुसार, इन कारोबारियों ने अपने व्यापार के आंकड़ों में हेरफेर करके मंडी शुल्क से बचने की कोशिश की थी।

घोटाले का खुलासा तब हुआ जब जीएसटी पोर्टल पर दर्ज किए गए आंकड़ों और मंडी समिति को दिए गए विवरणों के बीच भारी अंतर पाया गया। इन कारोबारियों ने जीएसटी में कुल 2 अरब 58 करोड़ 84 लाख 34 हजार 157 रुपये का टर्नओवर दिखाया था, लेकिन मंडी समिति को दिए गए आंकड़ों में जानबूझकर हेरफेर की गई थी ताकि वे मंडी शुल्क से बच सकें। इस अंतर को देख मंडी समिति ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इन कारोबारियों को नोटिस जारी किया है।

मंडी समिति ने जिन कारोबारियों के नाम नोटिस में शामिल किए हैं, उनमें प्रमुख रूप से मैसर्स चतर सैन अनिल कुमार, मैसर्स प्रेम कीर्ति शरण अजय कुमार, मैसर्स रजत ट्रेडर्स, मैसर्स कामता प्रसाद एंड संस और अन्य शामिल हैं। इन कारोबारियों को बैंक स्टेटमेंट और अन्य दस्तावेज़ों की जांच के लिए तलब किया गया है, लेकिन अभी तक इनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

जीएसटी और मंडी समिति के आंकड़ों में लगभग 34 करोड़ 76 लाख 97 हजार 991 रुपये का अंतर पाया गया है, जो बताता है कि इन कारोबारियों ने लगभग 52 लाख 15 हजार 470 रुपये का मंडी शुल्क चोरी किया है।

व्यापारी नेताओं की धमकियां

घोटाले के खुलासे के बाद व्यापारी नेताओं ने मंडी समिति निरीक्षक अनुज कुमार को फोन कर धमकियां दी हैं। सूत्रों के अनुसार, व्यापारी नेता सस्पेंड कराने की धमकी दे रहे हैं और ये भी सवाल उठा रहे हैं कि आखिरकार ये नोटिस कैसे मीडिया तक पहुंचा? हालांकि व्यापारियों ने तर्क दिया है कि कुछ सामानों पर जीएसटी है तो मंडी शुल्क नहीं और किसी पर मंडी शुल्क है तो जीएसटी नहीं। किसी भी व्यापारी ने कोई गड़बड़ी नहीं की है।

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