शाहपुर। पंचक समाप्त होते ही श्रावण मास की कांवड़ यात्रा ने गति पकड़ ली है। मंगलवार की सुबह से ही क्षेत्र के कांवड़िए हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी से पवित्र गंगाजल लेकर प्राचीन पुरा महादेव मंदिर की ओर रवाना हो गए हैं। शिवरात्रि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे शिवभक्तों की संख्या में भारी इजाफा हो रहा है।
रात्रि के समय रंग-बिरंगी दूधिया रोशनी से सजी कांवड़ें लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। स्थानीय निवासी एवं आसपास के गांवों के हजारों लोग कांवड़ यात्रा को देखने के लिए मुख्य मार्ग और डिवाइडर पर बैठकर दृश्य का आनंद ले रहे हैं।
मुख्य मार्ग पर दर्जनों बड़े शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां कांवड़ियों को विश्राम, भोजन और चिकित्सा सहित सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। ग्रामीण अंचलों से आए श्रद्धालु अपनी सामर्थ्य और श्रद्धा अनुसार कहीं खीर, कहीं रूह अफ़ज़ा शरबत, तो कहीं देसी घी का हलवा, बर्फी और पेड़ा जैसे व्यंजनों का वितरण कर रहे हैं।
क्षेत्र में यह परंपरा रही है कि हर वर्ष श्रद्धालु स्वेच्छा से जो बन पड़े वही कांवड़ियों की सेवा में समर्पित करते हैं।
इस बार पुलिस-प्रशासन भी पूरी सतर्कता के साथ व्यवस्थाओं में जुटा है। कस्बे का मुख्य बाजार पूरी तरह बंद कर दिया गया है। वहीं बसी रोड, मेंन बाजार, मालदा बाग वाली गली, मंगलापुरी, मंडी, और गोकुलपुर मार्ग को भी यातायात के लिए सील कर दिया गया है। ट्रैफिक को वनवे किए जाने से स्थानीय नागरिकों को कुछ असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
फिलहाल शाहपुर कांवड़िया नगर में तब्दील हो चुका है। शिवालयों से लेकर सार्वजनिक स्थलों तक कांवड़ियों का रुकना-जमना जारी है। उनके परिवारजन भी साथ चलकर घर का बना भोजन उन्हें खिला रहे हैं। श्रद्धा, सेवा और व्यवस्था का यह समन्वय क्षेत्र में धार्मिक चेतना का जीवंत उदाहरण बन गया है।