मुजफ्फरनगर में 2013 दंगे से पहले मारपीट के एक मामले में पूर्व विधायक उमेश मलिक ने विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश होकर जमानत कराई। 10 वर्ष पूर्व शोरम गांव में दो अलग समुदायों के लोगों के बीच मारपीट हुई थी, जिसमें पूर्व विधायक को आरोपित बनाया गया था।
बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता श्यामवीर सिंह ने बताया कि 20 अगस्त 2013 को थाना शाहपुर क्षेत्र के शोरम गांव में दो अलग समुदाय के लोगों के बीच झगड़ा हो गया था। इस मामले में गांव के वाजिद की ओर से शाहपुर थाने पर 12 लोगों को नामजद कराया गया था। जिसमें पूर्व विधायक उमेश मलिक पर भी लोगों को भड़काने का आरोप लगा था।
पुलिस ने इस मामले की विवेचना कर कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। बाद में फाइनल रिपोर्ट के खिलाफ वादी पक्ष की ओर से कोर्ट में प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल किया गया था। 2017 में बुढ़ाना सीट से उमेश मलिक विधायक निर्वाचित हुए, जिस कारण यह मामला विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया।
प्रोटेस्ट पिटीशन के आधार पर मामला चलने के कारण मंगलवार को पूर्व विधायक उमेश मलिक ने कोर्ट में पेश होकर जमानत प्रार्थना पत्र दिया। विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट के पीठासीन अधिकारी मयंक जायसवाल ने जमानत प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया। गौरतलब है कि कव्वाल कांड से करीब एक सप्ताह पूर्व शोरम में दो समुदाय के बीच विवाद होने के बाद भी मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया था।