मुजफ्फरनगर। चरथावल सीट से भाजपा के पूर्व विधायक रणधीर सिंह (75) का लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया। वह लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे। उनका अंतिम संस्कार शनिवार सुबह नौ बजे काली नदी स्थित श्मशान घाट पर किया जाएगा। सभासद का चुनाव जीतकर उन्होंने राजनीति की शुरूआत की थी।
मूल रूप से मोरना क्षेत्र के बरूकी गांव के रहने वाले रणधीर सिंह का परिवार शहर के आर्यपुरी में रहता है। वह लंबे समय तक जिला बार संघ के सदस्य रहे। भाजपा के टिकट पर उन्होंने साल 1993 और 1996 में तब सुरक्षित सीट चरथावल से चुनाव लड़ा और दोनों बार जीत दर्ज की थी। वह लंबे समय से वह बीमार चल रहे थे। शुक्रवार को नोएडा के अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह अपने पीछे अपनी पत्नी, तीन पुत्र एवं तीन पुत्रियों को छोड़ गए हैं।
निधन के बाद आर्यपुरी में उनके आवास पर शोकाकुल परिवार को सांत्वना देने वालों का तांता लग गया। भाजपा नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान, कौशल विकास राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष विजय शुक्ला ने कहा कि रणधीर सिंह बहुत ही मिलनसार थे,ह वह दो बार विधायक रहे।
वाजपेयी ने दिया टिकट और विधायक बन गए थे रणधीर सिंह
मुजफ्फरनगर। दिवंगत पूर्व विधायक रणधीर सिंह ने राजनीति की शुरूआत नगरपालिका के चुनाव से की थी। वह सभासद रहे। भाजपा की पूर्व राज्यसभा सदस्य मालती शर्मा के विश्वासपात्रों में उनकी गिनती होती थी। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी साल 1993 में टिकटों की घोषणा कर रहे थे। दिल्ली में वाजपेयी और मालती शर्मा बैठे हुए थे। इसी दौरान रणधीर सिंह भी टिकट की मांग करने के लिए पहुंच गए। उन्हें देखते ही वाजपेयी ने अपनी जेब में हाथ दिया और एक पर्ची निकालकर रणधीर सिंह के हाथ में थमा दी। इसी तरह उन्हें पहला टिकट मिला और वह जीत गए थे।
244 वोटों से जीते थे दूसरा चुनाव
मुजफ्फरनगर। साल 1996 में शहर की कूकड़ा मंडी में विधानसभा चुनाव की मतगणना दिलचस्प रही थी। चरथावल सुरक्षित सीट के आखिरी राउंड की गिनती को लेकर हंगामा हुआ था। आखिरी राउंड की गिनती दो बार करानी पड़ी थी। पहली गिनती में रणधीर सिंह 243 और दूसरी गिनती में 244 मतों से जीते थे। रणधीर सिंह को 52499 और सपा से चुनाव लड़े दीपक कुमार को 52255 वोट मिले थे।