मुजफ्फरनगर। जिले में कांवड़ यात्रा के दौरान सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ने की साजिश रचने वालों पर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। ककरौली थाना पुलिस ने ‘उमाती व्हाट्सएप ग्रुप’ से जुड़े चार और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। यह आरोपी पाकिस्तान की हिंसा से जुड़ा एक वीडियो और एक भड़काऊ ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल कर माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहे थे।
एसएसपी संजय कुमार वर्मा ने जानकारी दी कि 21 जुलाई को पांच अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुपों पर पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ की हिंसा से जुड़ा वीडियो वायरल किया गया था, जिसे मुरादाबाद के मन्सूरपुर क्षेत्र का बताकर शेयर किया गया। इसका उद्देश्य कांवड़ यात्रा के दौरान समुदाय विशेष में उत्तेजना फैलाना था।
इस मामले में पहले भी तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। बुधवार को पुलिस ने मोहल्ला लद्वावाला से नईमुद्दीन और फईमुद्दीन, मन्सूरपुर क्षेत्र के जमीरुद्दीन और मिमलाना रोड निवासी शालिक को गिरफ्तार कर चार मोबाइल फोन भी बरामद किए हैं। पूछताछ में इन लोगों ने माना कि उन्होंने ‘उमाती’ नामक ग्रुप में यह वीडियो शेयर किया था।
‘उमाती’ ग्रुप बना साजिश का केंद्र, जांच में 88 सदस्य निशाने पर
पुलिस जांच में सामने आया है कि व्हाट्सएप ग्रुप ‘उमाती’ एक संगठित साजिश के तहत बनाया गया था, जिसमें 88 सदस्य शामिल हैं। यह शब्द ‘उम्मा’ से लिया गया है, जिसका धार्मिक रूप से समुदाय विशेष में गहरा अर्थ होता है। ग्रुप में वीडियो और ऑडियो डालकर इसे मुरादाबाद का बताकर वायरल किया गया ताकि अफवाहें फैलाई जा सकें।
गिरफ्तार कोई भी आरोपी ग्रुप एडमिन नहीं, पुलिस की जांच जारी
अब तक पकड़े गए सात आरोपियों में से कोई भी व्हाट्सएप ग्रुप का एडमिन नहीं है। पुलिस बाकी एडमिन्स और अन्य सदस्यों की जांच कर रही है। माना जा रहा है कि ग्रुप के अन्य सदस्य वीडियो को आगे और ग्रुप्स में भेजने के जिम्मेदार हैं। पुलिस सभी सदस्यों की डिजिटल प्रोफाइल खंगाल रही है और जल्द ही अन्य गिरफ्तारियां भी संभव हैं।
एसपी देहात आदित्य बंसल ने कहा कि ग्रुप एडमिन्स पर भी शिकंजा कसने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
पहले पकड़े गए थे तीन आरोपी
इससे पहले ककरौली पुलिस ने नदीम, रहीस और मनशेर नामक तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। इनके पास से तीन मोबाइल फोन जब्त हुए थे। इन पर पाकिस्तान की वीडियो को मुरादाबाद की बताकर पांच व्हाट्सएप ग्रुपों में शेयर करने का आरोप है। वायरल ऑडियो क्लिप में झूठे दावे किए गए थे कि विशेष समुदाय के लोगों पर हमले हो रहे हैं और 50 से ज्यादा लोगों की हत्या हो चुकी है।
पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता से यह साजिश समय रहते विफल कर दी गई। फिलहाल मामला संवेदनशील बना हुआ है और जांच एजेंसियां गहनता से पड़ताल में जुटी हैं।