मुजफ्फरनगर। जिला सहकारी बैंक के सभागार में सकल साहित्य समाज के तत्वावधान में साहित्यकार प्रकाश सूना के गजल संग्रह एक मुट्ठी आसमान का लोकार्पण हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. प्रदीप जैन रहे। गजल संग्रह सहज प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। संचालन कमल त्यागी ने किया। लोकार्पण समारोह में साहित्यकारों ने सहभागिता की। अब्दुल हक सहर ने अध्यक्षता की। डॉ. उमाकांत शुक्ल के सान्निध्य में समारोह आयोजित किया। समारोह के विशिष्ट वक्ता तरुण गोयल रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में सुशीला शर्मा और हासानंद शर्मा उपस्थित हुए।
परिचय:-
नाम : प्रकाश “सूना”
पिता : स्व०पंडित मुरलीधर जी शर्मा ‘ज्योतिषी’
माता : स्व० श्रीमती द्वारी बाई
पत्नी : स्व० श्रीमती चंचल शर्मा
प्रेरणा- स्रोत : ब्रह्मलीन आचार्य पं० सीताराम चतुर्वेदी जी
जन्मतिथि
एवं
जन्मस्थान :15 दिसम्बर 1947
खानपुर कटोरा (रियासत बहावलपुर)
लेखन विधाएँ : गीत, ग़ज़ल, लघुकथा, माहिये आदि
प्रकाशित कृतियाँ : “पुण्य पर्वा” (गीत संग्रह)
“बिछोह” (पत्नी के बिछोह पर)
“ख़यालों के पंख” (ग़ज़ल संग्रह)
“तेरी जुस्तजू” (ग़ज़ल संग्रह)
“सूक्ति सुधा “( पद संग्रह)
” अमरित का घट” (भजन संग्रह)
” सप्त सोपान”(काव्य संकलन)
” एक मुट्ठी आसमान”(ग़ज़ल संग्रह)
प्रकाशन : विगत तीन दशकों से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशन एवं शताधिक काव्य और लघुकथा संकलनों में सहभागिता
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित
सम्प्रति : उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लि0 से वर्ष 2005 में सेवा निवृत्त
सम्पर्क : “मुरलीधर सदन”, 187- गाँधी कालोनी निकट गाँधी वाटिका, मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) -251 001
मोबाइल : 96347 36657
मेरे अपने पसंदीदा अश्आर :
मयकदे में लोग आते हैं बुझाने प्यास को,
दिल ही मेरा मयकदा है मैं कहीं जाता नहीं.
ज़र्द पत्तों की तरह है ज़िन्दगी तेरी बिसात,
आयेगी आँधी कोई ले जायेगी तुझको उड़ा.
रोती रही वो दीद की खातिर तमाम उम्र,
आया तो ऐसे वक़्त कि बीनाई जा चुकी.
हमसे तो बहुत अच्छा है परिन्दों का तरीका,
उड़ते तो हैं आकाश में नज़रें हैं जमीं पर.
न साक़ी है न पैमाना, न देखी मय कहीं हमने,
तुम्हारे शहर में यह किस तरह का मयकदा यारो!
तेरे जो साथ गुजरी है, वही थी ज़िन्दगी अपनी,
न कोई आरज़ू बाक़ी, न जीने की तमन्ना है.
तुमको मना सका न मैं तरकीबें सारी की,
फिर भी कहे ये दिल मुझे तू कोशिशें न छोड़।
आरज़ू है आपको सुकरात बनने की तो फिर,
ज़ह्र पीने के लिए तैयार रहना हर घड़ी ।
-प्रकाश ‘सूना’