मीरापुर उपचुनाव में रालोद जातीय गणित साधने में जुटा है। भाजपा से गठबंधन में हिस्से में आई मीरापुर सीट पर रणनीतिकार कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते। दावेदारों की लंबी फेहरिस्त में अति पिछड़ा वर्ग को वरीयता दिए जाने की संभावना है। भाजपा के कोटे से भी रालोद के सिंबल पर प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है।
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में रालोद -सपा गठबंधन से चंदन चौहान ने जीत दर्ज की थी। साल 2024 आते-आते समीकरण बदले। अब रालोद का भाजपा के साथ गठबंधन है, जिस कारण मीरापुर के समीकरण भी बदल गए हैं।
सपा ने यहां से पूर्व सांसद कादिर राना की पुत्रवधू सुम्बुल राना को टिकट दिया है। अब सबकी निगाहें रालोद के टिकट पर है। दो दिन में टिकट की घोषणा की संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है कि भाजपा के कोटे के प्रत्याशी को रालोद के सिंबल पर चुनाव लड़ाया जा सकता है। इनमें पूर्व विधायक मिथलेश पाल का नाम जोर पकड़ रहा है। रालोद के टिकट पर मिथलेश उपचुनाव में मोरना से जीत हासिल कर चुकी हैं।
उनके अलावा पूर्व सांसद राजपाल सैनी भी दावेदार हैं। उनके बेटे शिवान सैनी ने रालोद के टिकट पर खतौली से साल 2022 का चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं सके। इसके बाद पिता-पुत्र भाजपा में शामिल हो गए। राजपाल सैनी भी मोरना से विधायक रहे हैं, ऐसे में उनके नाम पर भी मंथन किया जा रहा है।
जाट और गुर्जर समाज से टिकट के दावेदारों की लंबी लिस्ट है। इनमें सांसद चंदन चौहान की पत्नी यशिका चौहान, अक्षय गुर्जर, बागपत के जिलाध्यक्ष सुभाष गुर्जर, रालोद जिलाध्यक्ष संदीप मलिक, पूर्व जिलाध्यक्ष अजीत राठी, संजय राठी, भाजपा नेता अमित राठी के नाम हैं। लेकिन जाट और गुर्जर नेताओं को टिकट की राह मुश्किल होने लगी है।
टिकट के दावेदारों ने दिल्ली में डाला डेरा
रालोद से टिकट के दावेदारों ने दिल्ली में डेरा डाल लिया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय राज्यमंत्री जयंत सिंह से मुलाकात के लिए कई दावेदार पहुंचे हैं। कई लोगों की अभी तक मुलाकात नहीं हो सकी है।
बसपा के दांव से बढ़ेगी भाजपा- रालोद की मुश्किल
मीरापुर से बसपा का टिकट शनिवार को घोषित होने की संभावना है। अगर बसपा ने अति पिछड़ा वर्ग पर दांव खेला तो रालोद की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। लोकसभा चुनावा लड़े दारा सिंह प्रजापति के नाम की भी चर्चा है। बिजनौर से लोकसभा चुनाव लड़े बिजेंद्र सिंह भी दावेदार हैं। बसपा से टिकट की चाह रखने वालों ने लखनऊ में डेरा डाल लिया है। बसपा के फैसले को सपा के टिकट से जोड़कर लोग अपने-अपने कयास लगा रहे हैं।