स्वामी कल्याण देव जिला अस्पताल में एक एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को पित्त की थैली में पथरी की शिकायत पर इलाज के लिए लाया गया, लेकिन चिकित्सकों ने ऑपरेशन करने से इनकार कर दिया। लंबे समय तक वह मरीज अस्पताल परिसर में असमंजस में बैठा रहा। कुछ कर्मचारियों को उसकी हालत पर दया भी आई, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने यह कहते हुए उसे उच्च चिकित्सा केंद्र के लिए रेफर कर दिया कि वहां इस तरह के संक्रमित मामलों के ऑपरेशन की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
ज्ञात हो कि जिला अस्पताल में बीते 15 वर्षों से एआरटी सेंटर संचालित है, जहां अब तक तीन हजार से अधिक एचआईवी संक्रमित मरीजों का पंजीकरण कर इलाज किया जा चुका है। यहां उन्हें नियमित दवाओं के साथ-साथ मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखने के लिए काउंसिलिंग भी दी जाती है। सेंटर से इलाज करवा रहे एक मरीज को हाल ही में पेट और सीने में दर्द की शिकायत हुई थी।
सेंटर प्रभारी डॉ. मुजीबुर्रहमान की देखरेख में मरीज की जांच कराई गई, जिसमें अल्ट्रासाउंड में पित्त की थैली में पथरी की पुष्टि हुई। जिला अस्पताल में इलाज की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन बाद में उसे मेरठ मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया।
लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की नहीं है सुविधा: डॉ. पंकज अग्रवाल
सर्जन एवं पूर्व सीएमएस डॉ. पंकज अग्रवाल ने बताया कि एचआईवी संक्रमित मरीजों का ऑपरेशन विशेष सावधानी की मांग करता है। चूंकि जिला अस्पताल में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की व्यवस्था नहीं है और ओपन सर्जरी में अधिक रक्तस्राव होता है, ऐसे मामलों में जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए संक्रमित मरीजों के लिए लैप्रोस्कोपिक ऑपरेशन को अधिक सुरक्षित विकल्प माना जाता है।
पूर्व में हो चुके हैं ऑपरेशन: डॉ. संजय वर्मा
जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. संजय वर्मा ने बताया कि पूर्व में कई एचआईवी संक्रमित मरीजों का सफल ऑपरेशन अस्पताल में हो चुका है। हालांकि, मौजूदा मामले की जानकारी उन्हें नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में संक्रमण से बचाव के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरती जाती है।