मुजफ्फरनगर: हत्या के मुकदमे में 4 साल जेल में रहा युवक, कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी किया

मुजफ्फरनगर में हत्या के आरोप में एक युवक को 4 साल तक जेल में रहना पड़ा। कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में उसे बरी कर दिया है। साथ ही त्रुटिपूर्ण विवेचना पर कोर्ट ने तत्कालीन एसएचओ मीरापुर के विरुद्ध कार्रवाई का भी आदेश दिया है।

अभियोजन के अनुसार मीरापुर क्षेत्र के गांव वलीपुरा निवासी महबूब ने 12 अक्टूबर 2019 को थाने में गुमशुदगी दर्ज कराते हुए बताया था कि उसका 27 वर्षीय बेटा इरशाद दो दिन पहले बाइक पर सवार होकर कैलापुर में टाइल्स फैक्ट्री में ड्यूटी पर गया था। उसके बाद वह लौट कर घर नहीं पहुंचा। तीन दिन बाद गांव कासमपुर खोला के जंगल से इरशाद का शव बरामद हुआ था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इरशाद की मौत का कारण गला घोटना आया। पुलिस की विवेचना में सामने आया था कि इरशाद की हत्या अवैध संबंध के शक में रस्सी से गला घोंटकर की गई। पुलिस ने कासमपुर खोला निवासी दीपक पुत्र शीशपाल, शीशपाल पुत्र हरचरण और कैलापुर निवासी छोटू पुत्र पूरणनाथ को गिरफ्तार किया था।

4 साल से जेल में था
बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता धर्मवीर सिंह ने बताया कि घटना के मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-10 हेमलता त्यागी ने की। बताया कि पुलिस ने दीपक की निशानदेही पर शव बरामद होना दर्शाया। जबकि इरशाद के रिश्तेदार ने शव मिलने की सूचना पुलिस को दी थी। इरशाद की बाइक को बिजनौर से दीपक की निशानदेही पर बरामद दर्शाया। जबकि किन पुलिसकर्मियों द्वारा बाइक बरामद की गई, इसका प्रमाण नहीं दिया। इन तर्कों के आधार पर संदेह का लाभ और साक्ष्यों के अभाव में कोर्ट ने दीपक को बरी कर दिया। बताया कि दीपक की जमानत हाईकोर्ट से भी खारिज हो गई थी। वह चार साल से जेल में निरुद्ध था।

एसएसपी को विवेचक के विरुद्ध कार्रवाई को लिखा

एडीजे-10 हेमलता त्यागी ने मुकदमे का फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने त्रुटिपूर्ण विवेचना करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का संदर्भ देते हुए मीरापुर थाने के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक पंकज कुमार त्यागी के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही करने के लिए एसएसपी को पत्र लिखा।

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