मुजफ्फरनगर। ग्रामीण भारत का एजेंडा के तहत शनिवार को किसानों की समस्याओं पर मंथन हुआ। विशेषज्ञों ने कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र के नीति में किसानों और गांव की भागीदारी को बढ़ाने पर जोर दिया। वक्ताओं कहा कि कृषि क्षेत्र की अधिक मजबूती के लिए नीतिगत बदलाव किए जाएं।
शनिवार को एक दिवयीय कार्यक्रम का आयोजन बंगलुरू स्थित फाउंडेशन द्वारा किया गया। करीब तीन दर्जन गावों से प्रतिभागियों ने समस्याओं और नीतिगत बदलावों पर विचार व्यक्त किए। ग्रामीण भारत का एजेंडा कार्यक्रम के दूसरे चरण में देश के दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी राज्यों में आयोजित होंगे। बताया किसानों की राय के बिना सरकारें अधिकांश नीतियां निर्धारण करती रही हैं। यही वजह ग्रामीण इलाकों का पिछड़ापन दूर नहीं हो पा रहा है।
कृषि क्षेत्र में अर्थव्यवस्था के सुधार और इसके भविष्य की रणनीति पर विचार रखें। अधिकांश किसानों ने आवारा
खेतिहर मजदूरों का अभाव बड़ी समस्या
किसानों ने कहा ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी और खेतिहर मजदूरों का अभाव सबसे बड़ी समस्या बन गई है। फसलों की वाजिब और समय पर कीमत नहीं मिलने की दिक्कत भी कम नहीं। प्रदूषण सहित कई समस्याओं की ओर किसानों का फोकस रहा। हरवीर सिंह और फाउंडेशन के डायरेक्टर प्रचुर गोयल एवं देबजीत मित्रा ने संयुक्त रूप से संचालन किया। मुजफ्फरनगर जिले के अलावा, मेरठ, बागपत, बिजनौर, सहारनपुर और शामली जिले के किसानों ने हिस्सा लिया।
इनकी रहीं मौजूदगी
पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक बालियान, भाकियू (अ) के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक, कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष नरेंद्र पाल वर्मा, शामली के जिपंस उमेश पंवार, जिपंस अरविंद पंवार, बलरामपुर चीनी मिल समूह के पूर्व ग्रुप प्रमुख केपी सिंह, शूटर रेणु तोमर, केवीके बघरा की इंजार्ज डॉक्टर सविता आर्य, पंतनगर यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर डॉ अशोक पंवार, सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार आदि मौजूद रहे।