मुजफ्फरनगर। जल निगम की ओर से सीवर लाइन के लिए शुरू कराया गया काम शहर की केशवपुरी, जाट कॉलोनी और दक्षिणी सिविल लाइन के लोगों के जी का जंजाल बन गया है। घरों के बाहर गड्ढे खोदकर छोड़ दिए गए हैं, जिससे लोग एक तरह से घरों में कैद होकर रह गए हैं। इससे आए दिन हादसे हो रहे हैं, लेकिन काम की ढीली रफ्तार मुसीबत बनी हुई है। अक्तूबर 2018 में शुरू हुए कार्य को अब तक पूरा नहीं किया जा सका है। जल निगम का कहना है कि कोरोना संक्रमण की वजह से काम में देरी हुई है। गड्ढा खुदाई की वजह से कई बार गलियां बंद कर दी जाती है, जिससे लोगों को लंबा चक्कर लगाना पड़ता है। काम की धीमी रफ्तार से लोगों के बीच नाराजगी है।
चुनाव के बाद पूरा होगा काम
जल निगम की सीवर लाइन का कार्य अमृत योजना के अंतर्गत लगभग 36 करोड़ रुपये की लागत से होना है। दिसंबर 2021 तक कार्य पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन अभी तक काफी कार्य अधूरा है।
मेरठ रोड पर लाइन बिछाने की अनुमति नहीं
कॉलोनियों में कार्य अधूरा है। इसके अलावा सुजडू चूंगी से पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस मेरठ रोड तक अभी लोक निर्माण विभाग ने कार्य की अनुमति नहीं दी है। इसकी वजह यह है कि सड़क खोदे जाने से वाहनों का आवागमन प्रभावित होगा। यह भी बताया जा रहा है कि चुनाव की गतिविधियों को देखते हुए अभी मार्ग खोदने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
यहां से गुजरना भी मुश्किल
जाट कॉलोनी में एनसीसी वाली गली, युगांतर स्कूल वाली गली में कार्य अधूरा पड़ा है। केशवपुरी के मुख्य मार्ग को खोदकर छोड़ दिया है। वाल्मीकि मोहल्ले की गलियों में गड्ढे ही गड्ढे हैं।
4821 घरों तक बिछेगी लाइन
जल निगम के एई एमएम मित्तल ने बताया कि 4821 घरों तक लाइन बिछाने का कार्य किया जा रहा है। घरों के बाहर चैंबर बनाकर छोड़े जा रहे हैं।
किदवईनगर में बनेगा एसटीपी
किदवईनगर मेें पहले से ही सीवरेज प्लांट है, जबकि यहां नया एसटीपी बनाया जाएगा। केशवपुरी और जाट कॉलोनी का सीवर कंपनी बाग के पास बनाए जा रहे कुएं से होते हुए किदवईनगर ले जाया जाएगा। अंबा विहार से सीवर सीधे किदवईनगर तक जाएगा।
गैस पाइपलाइन भी बन रही मुसीबत
कॉलोनियों में गैस की सप्लाई के लिए भी पाइप लाइन बिछाई जा रही है। जिसके लिए जगह-जगह गड्ढे खोदकर छोड़ दिए गए हैं। लोगों के घरों के बाहर मलबा पड़ा हुआ है। जिससे लोगों को आवागमन में मुश्किलें उठानी पड़ रही है।
इस मुसीबत से छुटकारा दिला दीजिए
- नागरिक सुनील का कहना है कि घरों से निकलना मुश्किल हो गया है। प्रशासन समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है।
- नागरिक आलोक का कहना है कि बच्चों के साथ हादसे का खतरा रहता है। कई बार अधिकारियों को समस्या बता चुके हैं।
- मास्टर रामपाल सिंह वर्मा का कहना है कि लोगों को घरों से निकलना मुश्किल हो गया है। तीन साल का समय बीतने को है, लेकिन अभी तक कार्य पूरा नहीं हुआ।
- रालोद के जिला संयोजक विकास कादियान का कहना है कि आमजन मुश्किलें झेल रहा है, लेकिन अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता। बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा खतरा है।
- जल निगम के सहायक अभियंता एमएम मित्तल का कहना है कि ठेकेदार को तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं।