रामपुर तिराहा कांड: आंदोलनकारियों के लिए देवदूत बन गए थे चार गांव के लोग

आंदोलनकारियों के खून से लथपथ रामपुर तिराहा पर मदद के हाथ भी उठे थे। जिले के चार गांवों के लोग पीड़ितों की मदद के लिए पहुंचे थे। रामपुर, सिसौना, मेदपुर और बागोवाली के लोगों ने आंदोलनकारियों का साथ दिया था।

ग्रामीणों ने आंदोलन में शामिल घायलों का उपचार कराया और पीड़ितों काे आश्रय देकर सुरक्षा का माहौल दिया। दिवंगत पंडित महावीर शर्मा ने शहीद स्मारक के लिए एक बीघा भूमि दान दी थी।

Rampur Tiraha scandal: Four villages had become an angel for agitators

रामपुर तिराहा गोलीकांडएक अक्तूबर 1994 की रात को अलग राज्य की मांग को लेकर उत्तराखंड से आंदोलनकारी बसों से दिल्ली जा रहे थे। उन्हें छपार थाना क्षेत्र के रामपुर तिराहे पर पुलिस ने रोकने का प्रयास किया। उसके बाद आंदोलनकारियों पर बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज कर दिया। इस मंजर को आसपास गांव के लोगों ने देखा। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लाठीचार्ज किया।

आंदोलनकारियों को रामपुर तिराहे के निकटवर्ती गांवों के लोगों ने आश्रय दिया। भोजन उपलब्ध कराया गया और हर संभव मदद को हाथ बढ़ाए। इनमें मुख्य रूप से रामपुर, सिसौना, मेदपुर और बागोवाली गांव के लोग पीड़ितों की सुरक्षा के लिए आगे आए थे।

पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने आंदोलनकारियों की मदद करने का नेतृत्व करने वाले महावीर शर्मा और सभी लोगों को देहरादून बुलाकर सम्मानित किया था। ट्रायल के दौरान जिले के एक प्रत्यक्षदर्शी की गवाही भी महत्वपूर्ण रही।

Rampur Tiraha scandal: Four villages had become an angel for agitators

महावीर प्रसाद ने उठाया था बीड़ा, अब लगेगी प्रतिमा
रामपुर गांव के समाजसेवी रहे दिवंगत पंडित महावीर शर्मा ने पीड़ितों की मदद के लिए बीड़ा उठाया। उनके नेतृत्व में ग्रामीणों ने उत्तराखंड के विभिन्न जिलों के आंदोलनकारियों को आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई थीं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने महावीर शर्मा की याद में स्मारक स्थल पर उनकी प्रतिमा लगवाने का ऐलान किया और 13.64 लाख रुपये का बजट अवमुक्त कर दिया। परिजनों ने उत्तराखंड सरकार के निर्णय की सराहना की।

29 वर्ष पहले स्मारक के लिए दान दी जमीन
उत्तराखंड शहीद स्मारक के लिए महावीर शर्मा ने 1995 में एक बीघा भूमि दान दी। उन्होंने आसपास गांवों के लोगों से चंदा एकत्रित कर स्मारक बनवाया। बाद में वर्ष 2003 में तत्कालीन सीएम नारायण दत्त तिवारी ने इसे भव्य रूप दिलाने की घोषणा की। महावीर शर्मा से साढ़े छह बीघा जमीन खरीदी और पूरी साढ़े सात बीघा भूमि पर भव्य स्मारक स्थल तैयार हुआ। स्मारक प्रभारी शुभम शर्मा बताते हैं 2005 में तत्कालीन सीएम एनडी तिवारी ने स्मारक स्थल लोगों को समर्पित कर दिया था।

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दो अक्तूबर को श्रद्धांजलि देने आते हैं मुख्यमंत्री
रामपुर निवासी पप्पू शर्मा बताते हैं हर साल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री दो अक्तूबर को शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने स्मारक पर आते हैं। उनका परिवार पिता महावीर शर्मा के उत्तराखंड वासियों की सेवा का संकल्प पीढ़ी दर पीढ़ी निभाएगा। शहीदों की याद में हर साल वह स्मारक स्थल पर भंडारा करते हैं।

अभिभूत करता है जिले के लोगों का प्रयास
रामपुर तिराहे पर शहीद स्मारक स्थल के निकटवर्ती गांवों के लोगों का समर्पण और सेवाभाव उत्तराखंड के लोगों को अभिभूत करता है। मुख्य भूमिका निभाने वाले महावीर शर्मा के 29 जुलाई 2022 को निधन के बाद सीएम उनके घर परिवार को सांत्वना देने पहुंचे थे। पूर्व मंत्री दिवाकर भट्ट और मंत्री प्रसाद नैथानी आंदोलन के बाद कई दिन उनके आवास पर रुके थे। उनके पौत्र शुभम कहते हैं तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने उनके बाबा पंडित महावीर सिंह को 2014 में स्मारक का केयर टेकर बनाया था। वर्ष 2018 में वहां की सरकार ने स्मारक प्रभारी का पद उनके पौत्र शुभम को सौंप दिया। स्मारक स्थल पर स्मृति में सभी शहीदों के फोटो लगे हैं।

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