मुजफ्फरनगर जिला कारागार में बंद पूर्व विधायक शाहनवाज राणा को शनिवार को बड़े ही नाटकीय ढ़ंग से चित्रकूट जेल ट्रांसफर कर दिया गया। जेल प्रशासन ये कदम तब उठाया गया, जब जेल में उनके साथ मारपीट और मोबाइल बरामदगी के आरोप-प्रत्यारोप सुर्खियों में है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या यह ट्रांसफर सच्चाई को दबाने की कोशिश है? जेल प्रशासन की चुप्पी और जांच के नाम पर ढुलमुल रवैया कई सवाल खड़े कर रहा है।
जीएसटी टीम पर हमले से शुरू हुआ विवाद शाहनवाज राणा की मुश्किलें 5 दिसंबर 2024 को तब शुरू हुईं, जब पूर्व सांसद कादिर राणा की स्टील फैक्ट्री में जीएसटी टीम पर हमले के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया। उनके बेटे शाह आजम के खिलाफ भी उसी दौरान सिविल लाइंस थाने में एक फर्जी कंपनी और धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ, जिसमें शाहनवाज को साजिश रचने यानी धारा 120बी का आरोपी बनाया गया। तब से वह मुजफ्फरनगर जेल में बंद हैं।
हाल ही में जेलर ने उनके पास से मोबाइल बरामद होने और धमकी देने का आरोप लगाते हुए नई मंडी कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद शाहनवाज राणा ने भी जेल प्रशासन पर प्रताड़ना और मारपीट का आरोप लगाया, जिसके बाद कोर्ट ने उनकी मेडिकल जांच के आदेश दिए। लेकिन जेल प्रशासन पूरे मामले को दबाने में जुट गया और जेल की चारदीवारी के अंदर सच दबकर रह गया।
डीजी जेल के दौरे ने खोली पोल एक दिन पहले डीजी जेल पीवी रामा शास्त्री ने जिला कारागार का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान मुलाकाती महिलाओं ने जेल की बदहाल व्यवस्था और उगाही उजागर की। एक महिला ने आरोप लगाया कि नंबर काटने के नाम पर 21 हजार रुपए मांगे गए, जो बाद में जेल में ही चोरी हो गए। शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। डीजी ने जांच के आदेश दिए।
शाहनवाज राणा के मामले में गोल-मोल जवाब पूर्व विधायक शाहनवाज राणा के पास से मोबाइल बरामदगी, धमकी और उनके साथ मारपीट के सवालों पर डीजी जेल ने चुप्पी साध ली। मीडिया को इस मामले में कोई भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया। इसके ठीक एक दिन बाद आज राणा का ट्रांसफर कई संदेह पैदा कर रहा है।
क्या है ट्रांसफर के पीछे की साजिश? जेल प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। मीडिया के फोन तक नहीं उठाए जा रहे। क्या ये ट्रांसफर जेल की गड़बड़ियों को छिपाने की कोशिश है? या फिर राणा के राजनीतिक रसूख को दबाने का खेल है? जांच के नाम पर लीपापोती और ट्रांसफर का ये कदम जनता के बीच चर्चा का विषय बन गया है। जनता पूछ रही है कि आखिर सच क्या है और इसे सामने लाने की जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या जेल की चारदीवारी के पीछे कोई बड़ा खेल चल रहा है? इन सवालों के जवाबों से बचने के लिए जेल अधिकारी मीडिया से मुंह छिपाते नजर आ रहे हैं।