सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक मुस्लिम छात्र की पूरी शिक्षा का खर्च उठाने का आदेश दिया है। यह छात्र एक घटना में अपने सहपाठियों द्वारा थप्पड़ मारे जाने के बाद चर्चा में आया था। आरोप है कि इस घटना को एक महिला शिक्षक के कहने पर अंजाम दिया गया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए यूपी सरकार को यह आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी।
महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने यह मामला सुप्रीम कोर्ट में दायर किया था। यह मामला 2023 का है, जिसकी सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुइयां की खंडपीठ ने की। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि इस मुस्लिम छात्र की ट्यूशन फीस, यूनिफॉर्म, और किताबों का पूरा खर्च सरकार द्वारा उठाया जाए। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर सरकार चाहे, तो वह संबंधित स्कूल से भी इस खर्च को वहन करने के लिए कह सकती है।
मामला क्या था?
2023 में मुजफ्फरनगर के एक स्कूल में कुछ छात्रों ने मिलकर एक मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारा था। इस घटना के बाद तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में आरोप था कि शिक्षिका त्रिप्ता त्यागी ने छात्रों को इस कृत्य के लिए उकसाया था और छात्र के धर्म पर अपमानजनक टिप्पणी की थी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसके बाद इस पर काफी विवाद हुआ था।
यूपी सरकार की कार्रवाई
इस घटना के बाद अक्टूबर 2023 में यूपी सरकार ने शिक्षिका के खिलाफ आईपीसी की धारा 295 ए के तहत कार्रवाई की, जिसके तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप लगाए गए थे। आरोपी महिला शिक्षिका ने अदालत में सरेंडर किया था, और उन्हें जमानत मिल गई थी।
पहला आदेश
तुषार गांधी द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल आदेश दिया था कि राज्य सरकार को संबंधित छात्र का शिक्षा खर्च उठाने के लिए किसी प्रायोजक का पता लगाना चाहिए। हालांकि, ऐसा नहीं हो सका। बुधवार को जब मामले की सुनवाई हुई, तो याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने दलील दी कि सरकार इस काम में नाकाम रही है, और कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया।
ट्रस्ट की पेशकश
सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से भी दलीलें पेश की गईं। इस बीच, सैयद मुर्तजा मेमोरियल ट्रस्ट ने छात्र का खर्च उठाने की पेशकश की। सरकार ने कहा कि वह हलफनामा दे सकती है कि ट्रस्ट सीधे स्कूल को भुगतान करेगा, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि छात्र की शिक्षा पूरी होने तक इस खर्च की जिम्मेदारी सरकार की है। मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को तय की गई है।