न्यायिक कदाचार का दोषी पाए जाने पर हाईकोर्ट से बर्खास्त किए गए अपर जिला और सत्र न्यायाधीश बलिया हिमांशु भटनागर ने ही 2019 में मुजफ्फरनगर के चर्चित कवाल कांड की सुनवाई की थी। सांप्रदायिक दंगे की जड़ माने जाने वाले दोहरे हत्याकांड के उक्त मामले की सुनवाई जिले में एडीजे-7 रहते हिमांशु भटनागर ने की थी। सुनवाई कर उन्होंने 8 फरवरी 2019 को 7 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
कवाल कांड से पलट गई थी देश की सियासत
27 अगस्त 2013 को जानसठ थाना क्षेत्र के गांव कवाल में तिहरे हत्याकांड के बाद जिले में सांप्रदायिक दंगा भड़क गया था। इसके बाद जिले सहित प्रदेश भर की सियासी हवा में बदलाव आया था। गांव मलिकपुरा निवासी ममेरे भाईयों सचिन व गौरव हत्याकांड की सुनवाई एडीजे-7 हिमांशु भटनागर ने की थी। मुकदमे की सुनवाई पूरी करते हुए 8फरवरी 2019 को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश हिमांशु भटनागर ने इस मामले में फैसले सुनाते हुए आरोपित मुजस्सिम, मुजम्मिल पुत्रगण नसीम, फुरकान पुत्र फजला, जहांगीर व नदीम पुत्रगण सलीम एवं अफजाल व इकबाल पुत्रगण बुंदु को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
एडवोकेट नाहर सिंह ने जज हिमांशु पर लगाए थे आरोप
मूल रूप से सहारनपुर निवासी एडीजे हिमांशु भटनागर 2007 के दौरान गाजियाबाद में सीजेएम के पद पर तैनात रहे थे। इस दौरान एक मामले में अधिवक्ता नाहर सिंह यादव ने उन पर गंभीर आरोप लगाए थे। जिसके बाद नाहर सिंह यादव के विरुद्ध अदालत की अवमानना की कार्रवाई की गई थी। लेकिन कई वर्ष तक चले संघर्ष के बाद नाहर सिंह यादव एड. की शिकायत पर कार्रवाई हुई। जिसके उपरांत हाईकोर्ट ने एडीजे हिमांशु भटनागर को कदाचार का दोषी मानते हुए बर्खास्त कर दिया। हिमांशु भटनागर मुजफ्फरनगर में 2017 से 2019 तक एडीजे के पद पर तैनात रहे।