मंगलवार, 10 जून, 2025 को मुजफ्फरनगर में ऐसी मनहूस खबर फैली जिसने पूरे शहर को ग़मगीन कर दिया। यह ख़बर जंगल में आग की तरह फैल गई कि नगर के प्रसिद्ध स्वरूप परिवार के सदस्य, कारोबारी और समाजसेवी शंकर स्वरूप बंसल के एकलौते पुत्र अभिनव बंसल का सहारनपुर में आकस्मिक निधन हो गया। वे माँ शाकुम्भरी के दर्शन हेतु सिद्धपीठ गए हुए थे कि वहीं अचानक उनका रक्तचाप बढ़ गया और वे मूर्छित हो गए। उन्हें तत्काल सहारनपुर लाया गया, जहां चिकित्सकों ने अभिनव को मृत घोषित कर दिया।
शंकर स्वरूप तथा स्वरूप परिवार के लिए यह दुःखद घटना वज्रपात के समान है, जिससे न केवल स्वरूप परिवार, वरन् शहर का हर शख्स, हिन्दू-मुस्लिम, गरीब-अमीर, सभी शोकाकुल हुए।
इस शहर ने देखा है कि कैसे परिवार के मुखिया लाला महेश स्वरूप ने एक छोटे से कारोबार को खड़ा किया और उनके पुत्रों-विष्णु स्वरूप एवं चितरंजन स्वरूप ने कैसे कारोबार को शिखर तक पहुंचाया। शिक्षा के लिए एक छोटा सा ज्ञानदीप स्कूल खोला और बेगरज़पुर में विशाल मेडिकल कॉलेज तथा बड़ा अस्पताल भी खड़ा किया।
विष्णु स्वरूप सफल उद्यमी के साथ ही समाजसेवी और राजनीति से जुड़े नेता भी थे। वे मुजफ्फरनगर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक चुने गए। विधानसभा क्षेत्र का कोई ऐसा गांव और गाँव का कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति नहीं था जिसे वे नाम व चेहरे से न जानते हों। इसी प्रकार चितरंजन स्वरूप ने शहर सीट से चित्तों के रूप में चुनाव लड़ा जीते और चचा चित्तों के रूप में मशहूर हुए।
स्वरुप परिवार का कारोबार और समाजसेवा दिनोंदिन परवान चढ़ती रही। उनका व्यावसाय जिले की सीमा को लांघ चुका है। व्यवसाय एवं राजनीति में रहते हुए स्वरूप परिवार ने परोपकार एवं समाजसेवा का मार्ग पकड़े रखा और अपने बुजुर्गों के नाम को रोशन रखा। अनेक बड़ी आपदा एवं दुर्घटना के बाद भी स्वरूप परिवार सेवा पथ पर अग्रसर रहा।
विधि के विधान को कोई नहीं जानता। ईश्वर ही सर्वज्ञ है। हमारी परमपिता परमात्मा से अरदास है कि वे शंकर स्वरूप बंसल तथा स्वरूप परिवार को यह दारुण कष्ट सहने की शक्ति दे। परमात्मा अभिनव बंसल की आत्मा को शांति प्रदान करें।
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’