उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी सोमवार को रामपुर तिराहा कांड के शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे। सीएम धामी हेलीकॉप्टर से पुलिस लाइन में सुबह 11 बजकर 15 मिनट पर पहुंचे। इसके बाद वह यहां से रामपुर तिराहा स्थल पर पहुंचे और शहीदों के सम्मान में होने वाले कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे हैं। वह तकरीबन दो से ढाई घंटा जिले में रहेंगे।
पुलिस का कड़ा सुरक्षा पहरा
रामपुर तिराहे पर पुलिस का कड़ा सुरक्षा पहरा लगाया गयाा है। एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत, सीओ सदर विनय गौतम, सीओ सिटी रामशीष यादव के साथ आसपास के थानों का पुलिसबल मौजूद है।

आंदोलनकारियों पर की गई थी बर्बरता
एक अक्तूबर, 1994 की वो रात मनहूस थी। देहरादून से बसों में सवार होकर दिल्ली के लिए निकले आंदोलनकारियों पर रामपुर तिराहे पर पहुंचते ही बर्बरता की गई। लंबे समय से न्याय का इंतजार कर रहे पीड़ितों को अब उम्मीद जगी है। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह मामले की सुनवाई कर रहे हैं। अलग-अलग पत्रावलियों की सुनवाई में तेजी आई है।
नौ नवंबर 2000 को नए राज्य का गठन हुआ था। साल 1995 में रामपुर तिराहा कांड की सीबीआई जांच शुरू कराई गई। 2003 में मुजफ्फरनगर के तत्कालीन डीएम अनंत कुमार सिंह नामजद किए गए थे। साल 2023 में अदालती प्रक्रिया में तेजी आई और सभी पत्रावलियों पर सुनवाई शुरू हो गई। एक पीड़िता ने भी अदालत पहुंचकर बयान दर्ज कराए हैं।
उत्तराखंड़ संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा और रजनीश चौहान बताते हैं कि पीड़िता के अलावा कई प्रमुख साक्षी अदालत में पहुंच चुके हैं। सीबीआई के विवेचक भी साक्ष्य के लिए आए थे। तत्कालीन गृह सचिव डॉ. दीप्ति विलास की गवाही हो चुकी है।

रामपुर तिराहा कांड में इनकी गई थी जान
1. देहरादून नेहरु कालोनी निवासी रविंद्र रावत उर्फ गोलू
2. भालावाला निवासी सतेंद्र चौहान
3. बदरीपुर निवासी गिरीश भदरी
4. अजबपुर निवासी राजेश लखेड़ा
5. ऋषिकेश निवासी सूर्यप्रकाश थपलियाल
6. ऊखीमठ निवासी अशोक कुमार
7. भानियावाला निवासी राजेश नेगी

इन मुकदमों में चल रही सुनवाई
सीबीआई बनाम मिलाप सिंह, सीबीआई बनाम राधा मोहन द्धिवेदी, सीबीआई बनाम एमपी मिश्रा, -सीबीआई बनाम ब्रजकिशोर सिंह के मुकदमे का ट्रायल चल रहा है। विशेष मजिस्ट्रेट कोर्ट में -सीबीआई की ओर से आरोपी बनाए गए तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक मोती सिंह, तत्कालीन थानाध्यक्ष -राजबीर सिंह और एक अन्य मामले में आरोपियों की मौत होने के कारण यह मामले समाप्त कर दिए गए हैं।
यह था मामला
एक अक्तूबर, 1994 को अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। देर रात रामपुर तिराहे पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया। आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। सीबीआई ने मामले की जांच की और पुलिस पार्टी और अधिकारियों पर मुकदमे दर्ज कराए थे।