राम मंदिर में जिस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होनी है और जिसे सदैव के लिए स्थापित हो जाना है वह परिसर के अंदर पहुंच गई। एक ट्रक में रखकर उसे पीली बरसाती से ढककर सुरक्षा दस्ते के साथ अंदर लाया गया। इस मौके पर भारी पैमाने पर फोर्स मौजूद रही। दूसरी तरफ गर्भगृह में पूजन शुरू हो गया है।
रामलला की अचल मूर्ति बुधवार की देर शाम विवेक सृष्टि परिसर से भारी सुरक्षा में राम जन्मभूमि परिसर पहुंचाई गई। अचल मूर्ति को बंद ट्रक में विराजमान कर ले जाया गया। सुरक्षा में पीएसी के दो सौ जवान, एटीएस की टीम और पुलिस अधिकारी शामिल रहे। अचल मूर्ति को सोने के सिंहासन पर बृहस्पतिवार को विराजित किया जाएगा। गर्भगृह में सिंहासन बनकर तैयार है।
चयनित मूर्ति की नौ विशेषताएं
श्याम शिला की आयु हजारों साल होती है, यह जल रोधी होती है।
-चंदन, रोली आदि लगाने से मूर्ति की चमक प्रभावित नहीं होगी।
-पैर की अंगुली से ललाट तक रामलला की मूर्ति की कुल ऊंचाई 51 इंच है।
-चयनित मूर्ति का वजन करीब 150 से 200 किलो है।
-मूर्ति के ऊपर मुकुट व आभामंडल होगा।
-श्रीराम की भुजाएं घुटनों तक लंबी हैं।
-मस्तक सुंदर, आंखे बड़ी और ललाट भव्य है।
-कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति, हाथ में तीर व धनुष होगा।
-मूर्ति में पांच साल के बच्चे की बाल सुलभ कोमलता झलकेगी।
आज दोपहर एक बजे से शुरू होगा पूजन
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के तीसरे दिन का अनुष्ठान गुरुवार को दोपहर एक बजे से शुरू होगा। गुरुवार को गणेश अंबिका पूजन, ब्राह्मण पूजन व वास्तु पूजन किया जाएगा। इससे पहले बुधवार की शाम रामलला के गर्भगृह में उस सिंहासन का भी पूजन किया गया, जहां रामलला की अचल मूर्ति को विराजित किया जाना है। मुख्य यजमान डॉ़ अनिल मिश्र ने पूजन किया। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, राममंदिर के ट्रस्टी विश्वेश तीर्थ आदि मौजूद रहे।