इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के पृथ्वी एवं ग्रहीय विज्ञान के छात्रों और नेशनल सेंटर ऑफ एक्सपेरिमेंटल मिनरलॉजी एंड पेट्रोलाॅजी (एनसीईएमपी) के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में ज्वालामुखी बनाने में सफलता हासिल की है। इससे भविष्य में सस्ते और सरल तरीके से ज्वालामुखी के बारे में बेहतर अध्ययन किया जा सकेगा।
यह ज्वालामुखी प्लेटिनम क्रुसिबल में तैयार किया गया है। इसके अध्ययन से पता लगाया जा सकेगा कि ज्वालामुखी से निकलने वाले पदार्थों का किस तरह से बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है। इविवि के वैज्ञानिकों का यह शोध इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि दुनिया में पहली बार प्लेटिनम क्रुसिबल के भीतर ज्वालामुखी जैसी संरचना तैयार की गई है। यह विशेष प्रकार का ज्वालामुखी है, जो सिर्फ हवाई में पाया जाता है।
इस ज्वालामुखी में विस्फोट कराने के बाद बाल से भी ज्यादा पतले और आंसू की बूंद जैसे छोटे लावा निकले, जो ज्वालामुखी के तीव्र विस्फोट से उत्पन्न ग्लास रूपी पदार्थ हैं। इनके अध्ययन से ज्वालामुखी की प्रकृति, गुण-धर्म और विशेषताओं का बारीकी से अध्ययन किया जा सकता है। भविष्य में पृथ्वी और ग्रहीय विज्ञान अनुसंधान में इसका जबरदस्त प्रभाव देखने को मिलेगा।
इविवि के वैज्ञानिकों के इसे शोध को प्रतिष्ठित स्प्रिंगर जर्नल (जर्नल ऑफ अर्थ सिस्टम साइंस) के नवीनतम अंक मार्च, 2023 में प्रकाशित किया गया है। एनसीईएमपी के निदेशक प्रो. जयंत कुमार पति के निर्देशन में हुए शोध में इविवि के एमएससी के पूर्व छात्र और वर्तमान में हंगरी के मिस्कॉल विश्वविद्यालय से पृथ्वी विज्ञान एवं इंजीनियरिंग संकाय से एमएस कर रहे मोहम्मद जहबीकी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी (एसपीएम) फेलो, सीएसआईआर अनुज कुमार सिंह एवं एनसीईएमपी के वैज्ञानिक डॉ. मृगांक एम. द्विवेदी शामिल रहे।
प्रो. जयंत कुमार पति ने बताया कि प्रयोगशाला में प्लेटिनम क्रुसिबल के भीतर छोटा सा हवाई ज्वालामुखी तैयार किया गया और उसमें विस्फोट कराया गया। विस्फोट के बाद ज्वालामुखी से बाल से भी पतले और आंसू की बूंद जैसे छोटे लावा निकले। इस शोध के दो सबसे बड़े फायदे होंगे। पहला तो यह कि भविष्य में अलग-अलग प्रकार के ज्वालामुखियों का अध्ययन सस्ते और सरल तरीके से किया जा सकेगा।
दूसरा यह कि ज्वालामुखी से निकलने वाले पदार्थों का अध्ययन कर यह पता लगाया सकेगा कि इनका व्यावसायिक इस्तेमाल किस प्रकार किया जा सकता है। अध्ययन से यह भी पता चल सकेगा कि ये पदार्थ सेहत के लिए कितने फायदेमंद और कितने हानिकारक हैं। एक तरह से इस शोध ने ज्वालामुखी के बेहतर अध्ययन के लिए कई रास्ते खोल दिए हैं।