बदले-बदले से दिखे राहुल गांधी: बनाई सख्त इमेज, जज्बात की नहीं करते हैं सिर्फ जाति की बात

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी न्याय यात्रा में अमेठी, रायबरेली से लेकर लखनऊ तक बदले-बदले नजर आए। उनमें कहीं भी पहले जैसा जज्बात नहीं दिखा। वे न मुस्कुराए और न ही राह चलते किसी को गले लगाया, बल्कि हर कदम पर जाति और जातीय समीकरण की बात की। उनकी यात्रा रायबरेली और लखनऊ में अल्पसंख्यक बहुल इलाकों से गुजरी, लेकिन उन पर ज्यादा बोलने के बजाय पूरी तरह से पिछड़े, दलितों एवं आदिवासियों पर फोकस किया।

भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तेंदुआ गांव में सोमवार की रात विश्राम किया, उसके बाद सड़क मार्ग से वे सुल्तानपुर के लिए निकल गए। मंगलवार दोपहर वे फुरसतगंज हवाई अड्डे पर पहुंचे और दो घंटे वहीं रहे। दोपहर करीब 2.20 बजे बाहर निकले। नहर कोठी चौराहे पर पहुंचे, यहां खड़े एक बच्चे को पास बुलाकर उसे टॉफी दी और काफिला आगे बढ़ गया। फुरसतगंज बाजार, नागिन चौराहे पर खड़े लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया। लेकिन हमेशा मुस्कुराते रहने वाले राहुल गांधी इस बार अति गंभीर नजर आए।

युवाओं को समझाया जातियों का अंकगणित
रायबरेली में अल्पसंख्यक बहुल इलाके से होते हुए राहुल ने सुपर मार्केट में सभा की। इस बीच एक युवक 69000 भर्ती से संबंधित पर्चे लिए दिखा। राहुल ने उसे बुलाया, नाम पूछा और फिर अमित मौर्य नाम का यह युवक ही उनके पूरे भाषण का केंद्र हो गया। उन्होंने उससे ओबीसी और एससी का मतलब पूछा। फिर युवाओं से मुखातिब होते हुए कहा कि मौर्य को न्याय क्यों नहीं मिल रहा है? वह सुबुकने लगा तो उसे गले लगाया और फिर कहा कि ओबीसी की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा है। फिर भी न्याय क्यों नहीं मिल रहा है? इस पर विचार करो।

पहली बार रायबरेली में सख्त दिखे राहुल
सारस चौराहे पर खड़े विजय शंकर पांडेय कहते हैं कि राहुल गांधी में यह बड़ा बदलाव आया है। अभी तक वह सिर्फ विकास की बात करते थे। अपने पूर्वजों की ओर से अमेठी- रायबरेली में किए गए कार्यों को बढ़ाने की बात करते रहे हैं, लेकिन रायबरेली में पहली बार वह सख्त नजर आए हैं। अपनापन जताने के बजाय सीधे जातियों को जोड़ने का प्रयास करते नजर आए हैं। कुछ ऐसी ही दुहाई जायस के रविंद्र भी देते हैं। रायबरेली- लखनऊ मार्ग पर कन्नावा, हरचंदपुर, बछरावां से लेकर लखनऊ में भी उन्होंने लोगों से संवाद करते वक्त उनकी जाति पूछी। पिछड़े और दलित वर्ग के युवाओं को उनकी जाति का अहसास कराते हुए पिछड़ेपन के लिए भाजपा सरकार को दोषी ठहराया और न्याय दिलाने के लिए जातीय जनगणना कराने का भरोसा दिया।

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