रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने राज्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र भेजकर मांग की है कि निकाय चुनाव में रालोद के चुनाव चिह्न हैंडपंप को केवल रालोद प्रत्याशियों के लिए सभी सीटों पर आरक्षित किया जाए। रालोद की राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा समाप्त होने पर रालोद के चुनाव चिह्न पर भी संकट है।
सोमवार को रालोद का राज्य स्तर पार्टी का दर्जा भारत निर्वाचन आयोग ने समाप्त कर दिया था। चूंकि रालोद की मान्यता ऐसे समय में समाप्त हुई जब नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है। चार व 11 मई को प्रदेश में दो चरणों में मतदान होने जा रहा है। ऐसे में रालोद के सामने यह संकट खड़ा हो गया है कि यदि उसका चुनाव चिह्न हैंडपंप उसे नहीं मिला तो चुनाव में मुश्किल हो सकती है। इस पर जयंत चौधरी ने निर्वाचन आयोग को पत्र भेजकर यह मांग की है कि उसके प्रत्याशियों को हैंडपंप चुनाव चिह्न ही इस चुनाव में दिया जाए।
गठबंधन दिग्गजों में मंथन
रालोद की मान्यता जाने के बाद अब सपा रालोद गठबंधन के दिग्गज मंथन कर रहे हैं। यदि रालोद उम्मीदवार हैंडपंप के चुनाव चिह्न पर नहीं लड़े तो क्या होगा। पश्चिमी उप्र के कई नगर निगमों के महापौर के अलावा नगर पालिका परिषद चेयरमैन और नगर पंचायत के अध्यक्ष पदों पर रालोद गठबंधन में अपना उम्मीदवार उतारने का दावा कर रहा है तो ऐसे में उसकी राह मुश्किल न हो जाए। उधर सपाई भी इस पर मंथन कर रहे हैं।
यह भी कहा जा रहा है कि यदि रालोद को हैंडपंप नहीं मिलता है तो वह अपने उम्मीदवार सपा के चुनाव चिह्न साइकिल पर लड़ा सकता है लेकिन इसके लिए रालोद शायद ही तैयार हो। फिलहाल तो पूरी कवायद यह है कि रालोद को हैंडपंप ही मिल जाए। उधर रालोद के मीडिया संयोजक सुनील रोहटा का कहना है कि रालोद की मान्यता को लेकर जो निर्णय आया है उससे राजनीतिक द्वेष की गंध आती है क्योंकि यह फैसला करने का उचित समय नहीं है। निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद यह फैसला आना कहीं न कहीं सवाल खड़े करता है।