सपा नेता आजम खां और अब्दुल्ला आजम को दोपहर बाद कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस ने कोर्ट पहुंचाया। कुछ देर के बाद अदालत उनके दो केसों में फैसला सुनाएगी। पहला मामला पड़ोसी पर हमले का है। दूसरे केस में उन्होंने सात साल जेल की सजा के खिलाफ अपील दायर की है।
आजम को सीतापुर और अब्दुल्ला को हरदोई जेल से कड़ी सुरक्षा के बीच लाया गया। मामले में आजम के भाई शरीफ अहमद और भतीजे बिलाल खां भी आरोपी हैं। गंज थाना क्षेत्र में जेल रोड निवासी मोहम्मद अहमद ने 2019 में सपा नेता आजम खां, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम, भाई शरीफ अहमद व भतीजे बिलाल खां के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
इसमें घर में घुसकर जानलेवा हमला करने, रंगदारी मांगने और आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया था। आरोपियों पर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने विवेचना के बाद चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई थी। मामले में सभी आरोपी जमानत पर चल रहे हैं। केस की सुनवाई एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट में चल रही है। इसमें अभियोजन और बचाव पक्ष की बहस पूरी हो चुकी है।
अभियोजन ने पेश किए सात गवाह
सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से मुकदमे के वादी मोहम्मद अहमद, मोहम्मद इस्माइल, यासिर अली खां, मेडिकल परीक्षण करने वाले डॉ. जावेद, एफआईआर लेखक हेड कांस्टेबल चंदकी राम, विवेचक एसएसआई कृष्ण किशोर मिश्रा व अजय कुमार गवाह के रूप में कोर्ट में पेश हुए। वहीं सपा नेता आजम खां की ओर से अपने बचाव में केवल दो गवाह ही पेश किए।
सजा के बाद पहली बार कोर्ट में पेश हुए आजम
बेटे के दो जन्म प्रमाणपत्र के मामले में सजा काट रहे सपा नेता आजम खां 18 अक्तूबर से सीतापुर जेल में बंद हैं। वहीं अब्दुल्ला आजम हरदोई और तजीन फात्मा रामपुर जेल में बंद हैं। 18 अक्तूबर के बाद से आजम खां रामपुर कोर्ट नहीं पहुंचे हैं। शनिवार को वह रामपुर पहुंचे। कोर्ट ने व्यक्तिगत रूप से उन्हें तलब किया है। वहीं अब्दुल्ला को हरदोई जेल से कोर्ट लाया गया।
कोर्ट में नहीं मिला वकीलों को प्रवेश, जिला जज से शिकायत
सपा नेता आजम खां और बेटे अब्दुल्ला आजम की कोर्ट में पेशी के वक्त सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। इस वजह से वकीलों को भी पुलिस ने अंदर जाने से रोक दिया। इससे वह भड़क गए। उन्होंने मामले की शिकायत जिला जज से की। सपा नेता आजम खां से जुड़े दो मामलों में शनिवार को फैसला आना है।
इसके लिए कचहरी परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पेशी से पहले ही पुलिस ने वकीलों को भी कोर्ट से दूर रखा। इससे उनमें गुस्सा छा गया। वकीलों का कहना है कि उनके केस भी लगे हुए हैं। इसकी वजह से वह पैरवी नहीं कर पा रहे हैं।