आखिर एक अधिकारी बिना किसी ऐतिहासिक तथ्य के बिना कुछ जाने बार-बार जिस तरीके से सूफी संत के बारे में शब्दों का इस्तेमाल कर रहा है। वो सिर्फ नफरत की हवा को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है। यह अधिकारी न संविधान का पालन कर रहे हैं और न कानून मान रहे हैं। सरकार और डीजीपी को लगाम लगानी चाहिए और पदमुक्त कर देना चाहिए।
यह बात संभल सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने बुधवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखी है। सांसद ने आगे लिखा है कि सोमनाथ मंदिर पर हमले का जिक्र इतिहास में मिलता है लेकिन उस समय सय्यद सालार मसूद गाजी की उम्र मात्र 11 वर्ष थी। सांसद का कहना है कि इतिहासकार बताते हैं कि सोमनाथ मंदिर पर हमले में सालार मसूद गाजी का जिक्र नहीं मिलता है।
सांसद ने कहा है कि संविधान की शपथ लेने वाले लोग कैसे किसी की आस्था का खिलवाड़ कर लेते हैं। संविधान ने सभी को अपनी इबादत करने का अधिकार दिया है। वह 12वीं शताब्दी के महान सूफी संत थे। उनकी याद में याद में जगह-जगह नेजे मेले आयोजित होते हैं। उनकी बहराइच स्थित कब्र पर बड़ा आयोजन होता है।
जहां सभी धर्म के लोग पहुंचते हैं। सांसद ने लिखा है कि उस समय इंसानियत पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ सालार मसूद गाजी ने आवाज उठाई थी। वह इंसानियत की खिदमत करते थे। उनकी याद में लगने वाला नेजा मेला रोकना अनैतिक है। संभल में अधिकारी संविधान का पालन नहीं कर रहे। महान सूफी संत पर अमर्यादित टिप्पणी की जा रही है जो नफरत की सियासत का नतीजा है।