संभल में मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा और मौतों की जांच स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराने और हाई कोर्ट द्वारा स्वयं जांच की निगरानी करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले को लेकर सरकार पहले ही हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग गठित कर चुकी है. आयोग को सभी प्रकार की जांच का अधिकार है. याची चाहे तो अपने साक्ष्य आयोग के समक्ष रख सकता है. कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर मामले में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है. एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ़ चाइल्ड राइट की जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने सुनवाई की.
याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस. एफ. ए. नकवी जबकि प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और शासकीय अधिवक्ता ए. के. संड ने पक्ष रखा. याचिका में कहा गया कि संभल हिंसा की किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच कराई जानी चाहिए. पूरे घटनाक्रम की स्टेटस रिपोर्ट सामने लाई जाए. घटना में मरने वालों की संख्या और इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या को सार्वजनिक किया जाए.
याचिका में ये भी मांग की गई थी
याचिका में संभल हिंसा को लेकर दर्ज प्राथमिक की वेबसाइट पर अपलोड करने की मांग की गई. साथ ही यह भी मांग की गई कि सभी शिकायतों की मॉनिटरिंग हाई कोर्ट करे. याचिका में संभल के डीएम एसपी, कमिश्नर सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को पद से हटाने और उन पर कार्रवाई की मांग की गई थी.
याची पक्ष का कहना था कि इस मामले की जांच सीबीआई या किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराने की जरूरत है. क्योंकि साक्ष्य के नष्ट हो जाने का खतरा है. इस पर कोर्ट ने कहा कि न्यायिक आयोग जांच कर रहा है, क्या आप उस पर अविश्वास कर रहे हैं. याची के अधिवक्ता का कहना था कि आयोग की रिपोर्ट सरकार पर बाध्यकारी नहीं है. कोर्ट याची के अधिवक्ता के इस दलील से सहमत नहीं हुई.
शासकीय अधिवक्ता ने कही ये बात
दूसरी ओर अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और शासकीय अधिवक्ता का कहना था की राज्य सरकार ने न्यायिक आयोग गठित कर दिया है. इसमें हाई कोर्ट के एक रिटायर्ड जज, एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी और एक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी शामिल हैं. आयोग को सभी प्रकार के साक्ष्य लेने का अधिकार है. कोई भी व्यक्ति आयोग के समक्ष उपस्थित होकर अपना साक्ष्य प्रस्तुत कर सकता है. आयोग द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्य जिला जज की कस्टडी में रखे जाते हैं. इसलिए इनके नष्ट होने की आशंका जताना बेबुनियाद है.
हाई कोर्ट ने याची को दी ये छूट
कोर्ट को बताया गया कि संभल हिंसा की एफआईआर पहले ही वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है. याची चाहे तो वहां से डाउनलोड कर सकते हैं. कमीशन के समक्ष अब तक सैकड़ों गवाह साक्ष्य दे चुके हैं. हर चीज रिकॉर्ड पर ली जा रही है. कोर्ट ने कहा कि न्यायिक आयोग जांच कर रहा है. इसी मामले को लेकर एक अन्य जनहित याचिका हाई कोर्ट की एक अन्य खंडपीठ द्वारा खारिज की जा चुकी है. कोर्ट ने जनहित याचिका खारिज करते हुए याची को इस बात की छूट दी है कि कोई नया तथ्य या हेतु उजागर होने पर वह नए तरीके से याचिका दाखिल कर सकता है.