शाही जामा मस्जिद समिति पहुंची एससी, सम्भल मस्जिद सर्वे के आदेश को दी चुनौती

सम्भल की जामा मस्जिद के सर्वेक्षण की अनुमति देने वाले सिविल जज के आदेश के खिलाफ शाही जामा मस्जिद समिति सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. मामले की सुनवाई शुक्रवार को सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच करेगी. मस्जिद समिति ने सिविल जज के आदेश और किसी अन्य सर्वेक्षण के आदेश पर भी रोक लगाने की मांग की है.

याचिका में कहा गया है कि यह असाधारण मामला है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट असाधारण कदम उठाए. निचली अदालत के फैसले पर तुरंत रोक लगाई जाए. उधर, अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह मामले में कई नेताओं ने चिंता जाहिर की है. दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा किया गया है. इसको लेकर अजमेर की अदालत में याचिका की गई है. अदालत ने इसे सुनवाई के लिए स्वीकार किया है.

सांप्रदायिक तनाव की ओर बढ़ सकता है शहर

कोर्ट ने अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय और एएसआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इस मामले ने उस वक्त तूल पकड़ा है जब यूपी की एक अदालत ने संभल की जामा मस्जिद के सर्वे करने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश पर सर्वे के बीच हुई हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई. अब अजमेर मामले को लेकर कुछ लोग आशंका जता रहे हैं कि यह शहर भी सांप्रदायिक तनाव की ओर बढ़ सकता है.

अजमेर दरगाह के खादिमों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती का बयान आया है. उन्होंने कहा, ये याचिका समाज को बांटने के लिए जानबूझकर की जा रही कोशिश है. दरगाह सांप्रदायिक सौहार्द और धर्मनिरपेक्षता की प्रतीक है. यह अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अधीन आती है. एएसआई का इससे कोई लेना-देना नहीं है.

याचिका में क्या कहा गया है?

ये याचिका हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दाखिल की है. उन्होंने दावा किया है कि जहां दरगाह बनाई गई वहां एक शिव मंदिर था. इस दावे के समर्थन में उन्होंने एक किताब का हवाला दिया है. उन्होंने कहा कि कई और भी तथ्य हैं जो बताते हैं कि दरगाह से पहले यहां शिव मंदिर था.

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