बीजेपी में शामिल हो सकते हैं शिवपाल यादव

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल यादव और योगी आदित्यनाथ की मुलाकात के पूरे प्रदेश में चर्चे हैं. सभी की निगाहें अब शिवपाल यादव के अगले फैसले पर टिकी है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से नाराज चल रहे उनके चाचा शिवपाल यादव भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं,

ऐसी संभावनाएं जताई जा रही है. इस बात को बल तब और मिलने लगा जब शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की. बताया जा रहा है कि शिवपाल यादव ने पार्टी के शीर्ष नेताओं से बीते दिनों दिल्ली में मुलाकात की थी.

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शिवपाल यादव और योगी आदित्यनाथ द्वारा मुलाकात को लेकर अबतक कुछ स्पष्ट नहीं हो सका है लेकिन संभावना जताई जा रही है कि वे भाजपा में शामिल हो सकते हैं. खबरों की मानें तो भाजपा द्वारा उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाने की प्रस्ताव दिया गया है. वहीं जसवंतनगर सीट के खाली होने के बाद शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव को इस सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है.

बता दें कि शिवपाल यादव विधानसभा चुनाव में बेटे आदित्य के लिए टिकट चाहते थे लेकिन अखिलेश यादव ने उन्हें मना कर दिया. ऐसे में बेटे के भविष्य को लेकर वे चिंतित है और भाजपा में शामिल होकर वे इस चिंता का समाधान कर सकते हैं.

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अखिलेश यादव द्वारा आजमगढ़ सीट को खाली किए जाने के बाद 6 महीने के भीतर ही उपचुनाव कराए जाएंगे. ऐसे में चर्चा यह भी है कि भाजपा शिवपाल यादव को इस सीट से उतार सकती है. सपा के लिए यह सीट सुरक्षित मानी जाती है. लेकिन सपा कार्यकर्ताओं के बीच शिवपाल सिंह यादव की पकड़ हमेशा से अच्छी रही है. ऐसे में चुनाव परिणाम शिवपाल यादव के हक में आने की उम्मीद है. बता दें कि भाजपा हर हाल में लोकसभा उपचुनाव में जीत दर्ज करना चाहेगी, जिससे 2024 लोकसभा चुनाव से पहले एक सकारात्मक संदेश दे सके.

शिवपाल यादव का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अचानक मिलना अपने आप में प्रदेश की राजनीति में बड़े उलटफेर के संकेत दे रहा है. शिवपाल सिंह यादव का अगला कदम क्या होगा, इसपर पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी हुई हैं. दरअसल जब मुलायम सिंह यादव के हाथ से पार्टी की बागडोर अखिलेश यादव के हाथ में गई इसके बाद शिवपाल सिंह यादव ने सपा का त्याग कर अपनी पार्टी बनाई.

इस विधानसभा चुनाव में राजनीतिक मजबूरियों के कारण वे अखिलेश यादव के साथ आए थे लेकिन सम्मान न मिल पाने की कसक उनके दिल में हमेशा रही है जो हर मौके पर देखने को मिली है. मुलायम सिंह यादव जबतक पार्टी के अध्यक्ष थे तब तक शिवपाल सिंह यादव पार्टी में नंबर 2 की भूमिका में थे लेकिन अखिलेश यादव के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद उनके सम्मान में कमी देखने को मिली और यही मतभेद बाद में मनभेद में बदल गया और उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली.

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