सपा-रालोद गठबंधन में बिखराव के संकेत, इस सीट पर फंसा पेंच

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले सपा और रालोद गठबंधन में बिखराव के संकेत मिलने लगे हैं। 10 फरवरी को पहले चरण के चुनाव होने हैं। इस बीच जाटलैंड कही जाने वाली मेरठ की सिवालखास सीट को रालोद ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। रालोद इस सीट पर किसी जाट नेता को चाहती है।

सपा ने इस सीट पर पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद को टिकट दे दिया है। इसे लेकर जाट समुदाय के कई लोगों ने दिल्ली में रालोद कार्यालय मंगलवार को प्रदर्शन किया। समर्थक दबाव बना रहे हैं कि जयंत चौधरी सिवालखास सीट को न छोड़ें।

इससे पहले साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर ही सपा के साथ रालोद का गठबंधन टूट गया था। इसके बाद पूर्व मंत्री और तत्कालीन रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने अकेले चुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया था। वरिष्ठ नेताओं ने कहना है कि फिर वैसे ही हालात बन रहे हैं। किसी भी समय गठबंधन टूट सकता है।

सिवालखास और सरधना चाहती थी आरएलडी

रालोद मेरठ की दो सीट अपने खाते में चाहती थी। इनमें सबसे पहले सिवालखास सीट और दूसरी सीट सरधना। सरधना सीट पर सपा ने अखिलेश यादव के करीबी अतुल प्रधान को प्रत्याशी बना दिया। अतुल प्रधान गुर्जर हैं और दो बार भाजपा के संगीत सोम से चुनाव हार चुके हैं। रालोद का मानना है कि सिवालखास लोकदल से छिटकने पर मेरठ की छह सीटों पर जाट बिरादरी भी गठबंधन से खिसक सकती हैं।

सपा ने मेरठ में छह विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं। इसमें से चार मुस्लिम प्रत्याशी हैं। शहर विधानसभा से सपा विधायक गुलाम मोहम्मद, किठौर विधानसभा से पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर, हस्तिनापुर सुरक्षित सीट से पूर्व विधायक योगेश वर्मा, सरधना विधानसभा सीट से अतुल प्रधान, सिवालखास विधानसभा सीट से पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद, दक्षिण विधानसभा से आदिल को सपा ने टिकट दिया है। मेरठ में रालोद के खाते में एक भी सीट नहीं बची है।

भाजपा को पहुंच सकता है फायदा
2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाट और मुस्लिमों में बिखराव हुआ। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भाजपा ने हिंदू वोटों के सहारे एक तरफ जीत हासिल की। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी लोकदल को सिर्फ छपरौली सीट पर ही जीत से संतोष करना पड़ा। अब जब लोकदल और सपा में गठबंधन हुआ है, तो लोकदल और सपा जाट तथा मुस्लिमों को एक साथ लाने का प्रयास कर रहे हैं।

मेरठ में सपा पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर को किठौर सीट, सपा विधायक रफीक अंसारी को शहर सीट, सपा नेता अतुल प्रधान को सरधना सीट, पूर्व विधायक और महापौर पति योगेश वर्मा को सपा हस्तिनापुर से प्रत्याशी बना चुकी है। दक्षिण सीट मुस्लिमों का गढ़ और कैंट भाजपा का गढ़ है। ऐसे में आरएलडी को एक भी सीट नहीं मिली है। भाजपा इसका पूरा फायदा उठाना चाहती है। भाजपा ने सिवालखास पर जाट प्रत्याशी को उतारा है।

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