ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि भारत के दो पड़ोसी देशों में सियासी हालात बहुत खराब हैं। दोनों देशों में अत्याचार बढ़ गया है। इसलिए भारत सरकार को सरहदों पर सतर्कता बरतनी होगी। विदेश मंत्रालय को दोनों देशों में हो रही उथल-पुथल पर गहरी नजर रखने की आवश्यकता है।
मौलाना ने कहा कि बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर आंदोलन उग्र होता दिखाई दे रहा है। छात्र संगठनों के साथ वहां के स्थानीय राजनीतिक दल भी आंदोलन का हिस्सा बन गए हैं। इसी लिए बंगलादेशी सरकार को हालात कंट्रोल करने के लिए पूरे देश में कर्फ्यू लगाना पड़ा। इसके वावजूद सैकड़ों लोगों की जान भी जा चुकी है। बांग्लादेश के आंदोलन का प्रभाव भारत के उन राज्यों में पड़ सकता है, जो उसकी सीमा से सटे हुए हैं। इन क्षेत्रों में भारत सरकार को नजर रखने की जरूरत है।
शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि पाकिस्तान में हालात बहुत ज्यादा खराब हैं। पाकिस्तान महंगाई से जूझ ही रहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खां के समर्थकों ने राजधानी इस्लामाबाद को घेरने के लिए चौतरफा पैदल मार्च शुरू कर दिया है। पाकिस्तान पहले से ही आतंकवाद को समर्थन देने की वजह से पूरी दुनिया में घिरा हुआ है। साथ ही बलूचिस्तान के लोगों पर फौज की जुल्म ज्यादती हद से ज्यादा बढ़ जाने की वजह से आजादी भी मांग उठने लगी है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) में भी फौज की ज्यादतियां बढ़ जाने की वजह से वहां की अवाम ने फौज और हुकूमत के खिलाफ आंदोलन चलाया। भारत का रास्ता खोल देने के लिए आवाजें बुलंद करने लगे हैं। मौलाना ने आगे कहा कि दोनों देशों की सूरत-ए-हाल बहुत ज्यादा खतरनाक हो चुकी है इसलिए हमें सतर्कत रहने की जरूरत है।