सोनभद्र में राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अधीन संचालित ओबरा इंटरमीडिएट कॉलेज को निजी हाथों में सौंपे जाने के फैसले से छात्र-छात्राओं में असंतोष है। मंगलवार को कॉलेज परिसर में छात्र-छात्राओं ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। धरनारत छात्र-छात्राओं की मांग है कि विद्यालय को निजी हाथों में सौंपने की बजाय इसे राजकीय इंटर कॉलेज के रूप में चलाया जाए।
धरने का नेतृत्व कर रहे छात्र ओबरा इंटर कॉलेज बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक आनंद कुमार ने कहा कि स्वर्णिम इतिहास का गवाह रहे ओबरा इंटरमीडिएट कॉलेज के निजीकरण का फैसला उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम के निदेशक मंडल की ओर से गत 26 मार्च को ले लिया गया है। इसके तहत ओबरा, अनपरा, पारीक्षा, पनकी एवं हरदुआगंज परियोजनाओं में संचालित विद्यालयों को निजी संस्था के माध्यम से संचालित किया जाएगा।
यह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, आदिवासी और जरूरतमंद गरीब विद्यार्थियों के साथ घोर अन्याय है। मांग किया कि जनहित को देखते हुए ओबरा इंटर कॉलेज ओबरा उत्पादन निगम या सार्वजनिक, प्रांतीकरण या राजकीय क्षेत्र में पूर्व की भांति संचालित किया जाए। सीएसआर का धन सीएसआर के मद में ओबरा और निकटवर्ती क्षेत्रों में ही खर्च किया जाए, न कि किसी अन्य संस्थान को दिया जाए। सीएसआर के धन को ओबरा इंटर कॉलेज और स्थानीय विद्यालय को देकर पूर्व की भांति न्यूनतम शुल्क पर ही पढ़ाई की जाए और सीएसआर के धन की जांच कराई जाए। कहा कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक हम धरने पर बैठे रहेंगे। मांगें पूरी नहीं होने पर छात्र-छात्रा आमरण अनशन के लिए बाध्य होंगे। धरना स्थल पर प्रमुख रूप से अभिषेक मिश्रा, मोहम्मद शमीम, अजय, सुजीत, युवराज सिंह दर्जनों छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।