कुशीनगर से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में स्वामी प्रसाद मौर्य

पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य कुशीनगर से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए वह इंडिया गठबंधन से समर्थन जुटाने के लिए भी काम कर रहे हैं। यही वजह है कि सपा छोड़ने के बाद भी स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार कह रहे हैं कि उनका अखिलेश यादव से कोई बैर नहीं है। वहीं, कांग्रेस के रणनीतिकार भी उन्हें जिताऊ उम्मीदवार मान रहे हैं।

कुशीनगर से स्वामी प्रसाद का लंबा रिश्ता है। वे वर्ष 2009 में कुशीनगर (तब पडरौना) से बसपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़े थे लेकिन 20 हजार वोटों के अंतर से वह कांग्रेस प्रत्याशी आरपीएन सिंह से हार गए थे। तब आरपीएन सिंह पडरौना सीट से विधायक थे। उनके सांसद बनने के बाद पडरौना सीट पर हुए उप चुनाव में स्वामी प्रसाद बड़े अंतर से जीत गए। वर्ष 2012 में भी वे इस सीट से बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए और नेता प्रतिपक्ष बन गए। वर्ष 2017 में मायावती से विवाद के बाद वह भाजपा में आए और पडरौना से ही लगातार तीसरी बार भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए।

वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर स्वामी प्रसाद ने पलटी मारी और कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा देकर सपा में शामिल हो गए। इस चुनाव में उन्होंने पडरौना सीट छोड़ दी और कुशीनगर जिले की ही फाजिलनगर सीट से सपा के टिकट पर मैदान में उतरे। फाजिलनगर सीट कुशवाहा बहुल सीट है, इसलिए स्वामी प्रसाद मौर्य का आकलन था कि वे यहां से आसानी जीत जाएंगे। मगर यह चुनाव वह भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र कुशवाहा से हार गए। बाद में सपा ने उन्हें एमएलसी बनाया लेकिन राज्यसभा चुनाव के दौरान उन्होंने पीडीए की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए सपा और विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।

बाद में उन्होंने दिल्ली के ताल कटोरा स्टेडियम से राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी बनाने की घोषणा की लेकिन उनका यह शो भीड़ के लिहाज से कामयाब नहीं रहा। बताते हैं कि एनडीए की ओर से भी उन्हें कोई तवज्जो नहीं मिली।

इंडिया गठबंधन के सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के रणनीतिकार मानते हैं कि कुशीनगर में स्वामी प्रसाद अच्छी फाइट देंगे। यही कारण है कि हाल ही में लखनऊ आए कांग्रेस के यूपी प्रभारी अविनाश पांडे, स्वामी प्रसाद से मिलने उनके गोमती नगर स्थित आवास पर भी गए। बताते हैं कि स्वामी प्रसाद इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर कुशीनगर से भाग्य आजमाना चाहते हैं। हालांकि यह तय नहीं है कि वे किस पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे।

जानकार बताते हैं कि इंडिया के समर्थन से चुनाव लड़ने की रणनीति के चलते ही स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी राजनीतिक प्रकृति के विपरीत सपा नेतृत्व पर कोई निशाना नहीं साध रहे हैं।

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