दबाव में एनकाउंटर करने वाले पछताएंगे… पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह की नसीहत

उत्तर प्रदेश के डीजीपी रहे सुलखान सिंह ने प्रदेश पुलिस को अल्टीमेटम दिया है. उन्होंने कहा है कि किसी के दबाव में एनकाउंटर करने वाले पछताएंगे. पुलिसकर्मी जांचों में उलझकर रह जाएंगे. एनकाउंटर करने वाले पुलिसकर्मियों का कोई साथ नहीं देगा. कई घटनाओं का जिक्र करते हुए सुलखान सिंह ने सवाल खड़े किए हैं.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर किए पोस्ट में उन्होंने एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों को चेताया है. उन्होंने सरकार और उच्च अधिकारियों पर एनकाउंटर को लेकर दबाव बनाने का आरोप लगाया है. सुलखान सिंह ने कहा है कि दबाव में एनकाउंटर करने वाले पुलिसकर्मी पछताएंगे.

मैं पहले भी फर्जी मुठभेड़ों पर आगाह कर चुका हूं

अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा, प्रयागराज में फर्जी एनकाउंटर मामले में 12 पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज हुई. मैं पहले भी पुलिसकर्मियों को फर्जी मुठभेड़ों पर आगाह कर चुका हूं. गाजीपुर के एक मामले में घटना के 22 साल बाद पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई गई थी. एक पोस्ट में मैंने पहले लिखा था कि किस तरह सीतापुर की एक मुठभेड़ के मामले में घटना के 25 साल बाद पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

इनकी कोई मदद करने वाला या बचाने वाला नहीं

एक-एक करके कई पुलिस अधिकारी केंद्रीय कारागार बरेली में मरते रहे लेकिन अदालतों से उनकी जमानत नहीं हुई. लगभग ढाई सौ पुलिस अधिकारी जेलों में सड़ रहे हैं. इनकी कोई मदद करने वाला या बचाने वाला नहीं है. पीलीभीत में खूंखार आतंकवादियों को मुठभेड़ में मारने वाले 45 पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद की सजा हुई. उस समय भी बीजेपी सरकार थी.

पूर्व डीजीपी ने कहा कि वर्तमान बीजेपी सरकार ने बार-बार गुहार लगाने के बाद भी इन बूढ़े और रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों की सजा माफ नहीं की. हाई कोर्ट से भी जमानत नहीं हुई. जो सरकारें और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अपने अधीनस्थों पर नाजायज दबाव डालकर फर्जी मुठभेड़ करवाते हैं, फंसने पर वो कोई मदद नहीं करते.

नैतिकता का तकाजा है कि पुलिस अपराधी न बने

उन्होंने कहा, जब मुकदमा सजा के लेवल पर आता है तब तक ये पुलिस अधिकारी बूढ़े और रिटायर्ड हो चुके होते हैं. कोई आगे पीछे नहीं होता. इन्हें इनकी किस्मत के भरोसे छोड़ दिया जाता है. पुलिस अधिकारी अभी भी नहीं चेते तो बाल-बच्चे तक रोएंगे. नैतिकता का तकाजा है कि पुलिस स्वयं अपराधी न बने.

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