यूपी बोर्ड की परीक्षा समाप्त, 3.5 लाख छात्रों ने छोड़ी परीक्षा, फर्जी कक्ष निरीक्षक रहे चुनौती

एशिया के सबसे बड़े शिक्षा बोर्ड उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (यूपी बोर्ड) की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं बुधवार को सफलतापूर्वक संपन्न हो गईं. इस बार परीक्षा में नकल रोकने के लिए की गई सख्ती के चलते नकल माफियाओं की गतिविधियों पर लगाम लगी. अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से नकल पर काफी हद तक काबू पाया गया, लेकिन नकल माफियाओं ने अब एक नया तरीका अपनाते हुए फर्जी कक्ष निरीक्षकों के माध्यम से नकल कराने का प्रयास किया जो बोर्ड की चुनौती रहे, हालांकि बोर्ड की सख्ती के चलते ज्यादातर मामले पकड़ में आ गए. खास बात ये रही कि इस बार बोर्ड की सख्ती की वजह से 3.5 लाख छात्रों ने परीक्षा छोड़ दी.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नकल माफियाओं के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाने के बाद वे नए तरीके अपनाने लगे हैं. पहले की तरह मुन्नाभाई स्टाइल में फर्जी परीक्षार्थी भेजने का तरीका अब पुराना हो चुका है, इसलिए नकल माफिया फर्जी कक्ष निरीक्षकों के माध्यम से नकल कराने का नया तरीका अपना रहे हैं. यूपी बोर्ड परीक्षा के दौरान इस बार 18 फर्जी कक्ष निरीक्षक पकड़े गए, जिससे बोर्ड प्रशासन की चिंता बढ़ी. इस मामले के सामने आने के बाद पूरे प्रदेश में सभी परीक्षा केंद्रों पर तैनात निरीक्षकों की पहचान सत्यापित करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई थी. परीक्षा के दौरान तकरीबन 113 एफआईआर दर्ज की गई, जिनमें से 22 मामले एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) द्वारा दर्ज किए गए हैं.

त्रि-स्तरीय हाई-टेक निगरानी से परीक्षा पर पैनी नजर

यूपी बोर्ड ने नकल माफियाओं के बदलते तौर-तरीकों से निपटने के लिए त्रि-स्तरीय हाई-टेक निगरानी प्रणाली लागू की गई थी. इसका प्रभाव ये रहा कि ज्यादातर मामलों में सामूहिक न कल की बात सामने नहीं आई. बोर्ड सचिव भगवती सिंह के अनुसार, परीक्षा केंद्रों और स्ट्रॉन्ग रूम की 24×7 ऑनलाइन निगरानी के लिए 8140 परीक्षा केंद्रों पर 1.33 लाख कक्षों और परिसरों में 2.91 लाख से अधिक वॉयस रिकॉर्डर युक्त सीसीटीवी कैमरे लगाए गए. इसके अलावा, नकल माफियाओं और स्कूल प्रशासन की मिलीभगत को रोकने के लिए लखनऊ स्थित राज्य नियंत्रण कक्ष से 10,000 हाई-रिज़ॉल्यूशन सीसीटीवी कैमरों के जरिए परीक्षा की लाइव मॉनिटरिंग की गई.

3.5 लाख परीक्षार्थियों ने छोड़ी परीक्षा

यूपी बोर्ड परीक्षा 2025 के लिए इस बार 54,32,519 परीक्षार्थियों ने पंजीकरण कराया था, जिनमें 27,41,674 हाईस्कूल और 26,90,845 इंटरमीडिएट के छात्र शामिल हुए. सख्त निगरानी और नकल पर रोक के चलते इस बार करीब 3.5 लाख परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए.

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