इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तब्लीगी जमात में शामिल हुए एक शख्स के वापस अपने घर आने पर उसके खिलाफ हत्या के प्रयास में चार्जशीट दर्ज किए जाने पर इसे कानून का दुरुपयोग बताया है. मऊ जिले के रहने वाले इस शख्स का नाम मोहम्मद साद है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तब्लीगी जमात में शामिल हुए एक शख्स के वापस अपने घर आने पर उसके खिलाफ हत्या के प्रयास में चार्जशीट दर्ज किए जाने पर इसे कानून का दुरुपयोग बताया है. मऊ जिले के रहने वाले इस शख्स का नाम मोहम्मद साद है और वो नई दिल्ली में तब्लीगी जमात में शामिल होने के बाद अपने घर वापस आ रहा था और वो कोरोना नेगेटिव था.
सोमवार को जस्टिस अजय भनोट ने कहा कि मामले में विचार की जरूरत है. कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश के डीजीपी, मऊ के एसएसपी और मऊ के सर्कल अधिकारी से जवाब मांगा है. साथ ही कोर्ट ने मोहम्मद साद के खिलाफ मऊ के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 270 (जीवन को खतरे में डालने वाली बीमारी फैलाना) के तहत दाखिल चार्जशीट में केस की प्रकिया पर अगले आदेश तक फिलहाल रोक लगा दी है.
मोहम्मद साद के वकील ने कोर्ट में कहा कि पुलिस ने पहले इस मामले में आईपीसी की धारा 269 और 270 के तहत चार्जशीट फाइल की थी, लेकिन बाद में सर्कल अधिकारी के कहने पर चार्जशीट में संशोधन कर धारा 307 और 270 के तहत संशोधित चार्जशीट फाइल की गई.
जस्टिस भनोट ने सर्कल अधिकारी को निर्देश दिया कि वो व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें और ये बताएं कि जांच के दौरान इकट्ठा की गई सामग्री से रिकॉर्ड पर हत्या का प्रयास कैसे किया गया था और उनकी ओर से निर्देशित चार्जशीट में संशोधन कैसे सही है. साथ ही हाई कोर्ट ने अतिरिक्त सरकारी वकील को 10 दिनों के अंदर मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. इस मामले में हाई कोर्ट में अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी.