वाराणसी के पांडेयपुर स्थित मानसिक अस्पताल में मरीजों की जांच, इलाज के साथ ही रोजाना योग पाठशाला लगाई जा रही है। सुबह करीब एक घंटे तक मरीजों को अलग-अलग आसन कराए जा रहे हैं। वहीं, अस्पताल के एक कोने में देवी-देवताओं की प्रतिमा रखकर सुबह और शाम को भजन-कीर्तन किया जा रहा है। इस तरह की पहल करने वाला मानसिक अस्पताल प्रदेश का पहला अस्पताल है।
प्रदेश में इस समय वाराणसी के साथ ही आगरा और बरेली में मानसिक अस्पताल है। जहां मनोरोगियों को भर्ती कर उनका जांच, इलाज किया जाता है। वाराणसी के मानसिक अस्पताल में इस समय वाराणसी सहित जिलों के 230 से अधिक मरीज भर्ती हैं। अस्पताल के निदेशक डॉ. एके राय के निर्देशन में यहां मरीजों के इलाज के साथ मानसिक रूप से स्वस्थ रखने की विशेष पहल की गई है।
अस्पताल परिसर के ग्राउंड पर हर दिन कबीरचौरा से आकर योग प्रशिक्षक प्राणायाम, अनुलोम-विलोम सहित अन्य क्रियाएं करवाते हैं। सुबह 6 से 7 बजे तक चलने वाली नियमित योग पाठशाला में मरीज बढ़ चढ़कर भागीदारी कर रहे हैं। इसके बाद सुबह 8 से 10 बजे और शाम को एक घंटा मरीज झाल, मंजीरा के साथ भजनों का गायन करते हैं। कोई भजन गाता है तो कोई पूरी तन्मयता से ढोलक, झाल और मजीरा बजाता है। बीच-बीच में भगवान के जयकारे भी लगाए जाते हैं।
एक महीने पहले शुरू हुई पहल, दिख रहा सकारात्मक असर
अस्पताल के निदेशक डॉ. एके राय का कहना है कि करीब एक महीने पहले इसकी पहल हुई। पहले तो इसमें शामिल होने वाले मरीजों की संख्या कम थी, लेकिन धीरे धीरे बढ़ती गई। वर्तमान में योग में जहां 100 से अधिक मरीज (महिलाएं भी) शामिल हो रहे हैं, वहीं भजन-कीर्तन में भी संख्या बढ़ती जा रही है। इस पहल का सकारात्मक असर भी देखने को मिल रहा है। जो मरीज पहले एक दूसरे से बातचीत करनेे, वार्ड से बाहर निकलने में हिचकते थे, गुमशुम रहते थे। वो न केवल खुलकर बातचीत कर रहे हैं बल्कि सभी कार्यक्रमों में पूरे मनोयोग से प्रतिभाग भी कर रहे हैं।
क्या बोले अधिकारी
अस्पताल की ओर से मरीजों को तनावमुक्त रहने और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने की पहल की गई है। प्रतिदिन योग और भजन-कीर्तन करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। साथ ही एक-दूसरे से बातचीत करने सहित अन्य विषयों की काउंसिलिंग भी करवाई जा रही है। – डॉ. एके राय, निदेशक, मानसिक अस्पताल