अछनेरा में ग्रामीण की मौत के बाद श्मशान घाट की जमीन तलाशने में सरकारी अमला जुटा रहा। जमीन का विवाद होने की वजह से छह घंटे तक दाह संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ा। लंबे समय से गांव में श्मशान घाट के लिए जमीन नहीं है। ग्रामीणों के मांग पर तहसील की टीम ने एक सरकारी जमीन को चिन्हित किया, जिसका गांव का एक पक्ष विरोध कर रहा है।
मामला अछनेरा के गांव हसेला के मजरा नगला बंजारा का है। नंगला बंजारा में रविवार की रात करीब 11 बजे कप्तान (37) पुत्र सागर का देहांत हो गया। सोमवार सुबह करीब 9.30 बजे परिवार के लोग शव को लेकर एक सरकारी जमीन पर पहुंचे। दाह संस्कार से पहले जमीन को समतल करने के लिए मिट्टी डालना शुरू किया। इस बीच गांव के कुछ लोग विरोध करने पहुंच गए। उन्होंने जमीन पर दाह संस्कार होने से रोक दिया। इस पर दोनों पक्षों के बीच कहासुनी होने लगी और माहौल तनावग्रस्त हो गया।
सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने तहसील के कर्मचारी बुलाए। इसके बाद श्मशान घाट की जमीन की खोज शुरू हो गई। देर शाम तक जमीन की समस्या का कोई समाधान नहीं निकल सका। इस पर परिवार वालों ने शाम को अपनी जमीन पर दाह संस्कार किया। ग्राम प्रधान सुरेश ने बताया कि सरकारी जमीन पर दाह संस्कार के लिए गांव के कुछ लोगों ने विरोध किया था। जबकि यह जमीन श्मशान घाट के लिए चिन्हित की गई है।
यह है जमीन को लेकर विवाद
गांव में श्मशान घाट की जमीन की मांग ग्रामीणों की तरफ से की जा रही है। इस पर उपजिलाधिकारी के निर्देश पर 2 बिस्वा सरकारी जमीन की नापतोल तहसील के कर्मचारियों ने की थी। अभी यह जमीन श्मशान घाट के लिए घोषित नहीं की गई। इसलिए कुछ ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं। तहसीलदार किरावली देवेंद्र प्रताप ने बताया कि बंजारा गांव में श्मशान घाट के लिए कोई जमीन नहीं है। एक सप्ताह पहले सरकारी जमीन की नापतोल कराई गई थी। जिन लोगों के खेत इस जमीन के पास है, उनकी तरफ से विरोध किया जा रहा है।
पुलिस की निगरानी में हुआ अंतिम संस्कार
अछनेरा थाना प्रभारी ने बताया कि सोमवार को शाम करीब 4 बजे अंतिम संस्कार कराया गया। गांव के विजय सिंह, हरीराम व अन्य दर्जन भर से अधिक लोगों ने सरकारी जमीन पर दाह संस्कार का विरोध किया था। दोनों पक्षों को शांत करा दिया गया है। गांव में कुछ पुलिसकर्मी भी तैनात कर दिए गए है?