चैत्र नवरात्रि आज यानी दो अप्रैल से शुरू हो गए हैं। शहर भर के मंदिरों में माता की आराधना के लिए नौ दिन अनुष्ठान शुरू हो गए हैं। वहीं शहर के प्रमुख मंदिर भव्य तरीके से सजाए गए है। अब प्रत्येक दिन मां के विभिन्न रूपों की विधि-विधान से पूजा की जाएगी। देहरादून, रुद्रप्रयाग, चमोली, श्रीनगर, उत्तरकाशी सहित कुमाऊं में अल्मोड़ा, नैनीताल सभी जिलों में सुबह से मां के दरबार में भक्तों का तांता लगा हुआ है। देवभूमि में अगले नौ दिन अब मां आदिशक्ति की भव्य आराधना होगी। मां दुर्गा को सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, नवरात्रि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू हो जाते हैं। दो अप्रैल से शुरू हुए चैत्र नवरात्रि 11 अप्रैल को संपन्न होंगे। रामनवमी 10 अप्रैल रविवार को है। जिस कारण दशमी नवरात्रि पारणा 11 अप्रैल सोमवार को होगी।
नौ दिन तक मां दुर्गा के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्माचारिणी, चंद्रघटा, कुष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और देवी सिद्धिदात्री की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। ज्योतिषाचार्य डॉ. आचार्य सुशांत राज ने बताया कि घट स्थापना का शुभ मुहूर्त दो अप्रैल को सुबह छह बजकर 10 मिनट से आठ बजकर 29 मिनट तक था। ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु प्रसाद भट्ट ने कहा कि देवी दुर्गा का जन्म बुराइयों का नाश करने के लिए हुआ था, जो भी चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा अर्चना करते हैं उनके भीतर सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

पूर्णागिरी मंदिर में चैत्र नवरात्रि के पहले दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। मंदिर के बाहर तक श्रद्धालुओं की लाइन लगी रही। कुछ श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए सुबह पांच बजे से ही लाइन में खड़े हो गए थे।

मां मनसा देवी मंदिर में पुजारियों द्वारा भव्य आरती की गई। वहीं श्री दक्षिण काली मंदिर में माई के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। नवरात्र से पहले दिन भक्तों ने माता चुनरी, मुकुट, माला, मूर्ति व तस्वीर खरीदी। देहरादून के धामावाला बाजार, हनुमान चौक, धर्मपुर चौक, पलटन बाजार समेत शहर के सभी बाजारों में भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है।

धारी देवी मंदिर श्रीनगर में भी दूर-दराज से लोग माता के दर्शन के लिए पहुंचे। चैत्र नवरात्रि के साथ दो अप्रैल से नवसंवत 2079 तीन राजयोगों के साथ शुरू हो गया है। प्राचीन टपकेश्वर महादेव मंदिर के महंत कृष्णा गिरी महाराज ने बताया कि इस संवत्सर के राजा शनि एवं मंत्री गुरु रहेंगे और रेवती नक्षत्र के साथ तीन राजयोगों में नववर्ष का प्रारंभ शुभ संकेत की स्थिति को दर्शाता है।

हल्द्वानी में जगदम्बा नगर स्थित मां जगदम्बा मंदिर में भागवत कथा से पूर्व महिलाओं ने भव्य कलश यात्रा निकाली। मां जगदंबा की पूजा -अर्चना की गई है। महंत कृष्णा गिरी महाराज ने बताया कि 1563 साल बाद नववर्ष की शुरुआत में मंगल और राहु-केतु अपनी उच्च राशि में रहेंगे।

श्री दक्षिण काली मंदिर में माई के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। यहां पुजारियों ने सुबह पहले मां का जलाभिषेक कर भव्य पूजन किया।

बड़कोट में नवरात्रि के पहले दिन रवांई घाटी के पौराणिक धार्मिक स्थल गंगा यमुना के संगम गगंनानी में सुबह से श्रद्वालु कुंड में डुबकी लगा कर जलाभिषेक कर रहे। इसके साथ ही नगर पालिका क्षेत्र में स्थित चन्द्रेश्वर महादेव,प्रकेटेश्वर महादेव ,व यमुना के मायके खरशाली गाँव भूतेश्वर महादेव मंदिर आदि में भी श्रद्वालु जलाभिषेक कर रहे है।