लगातार बढ़ रहे डीजल के दामों से ट्रांसपोर्टर परेशान हैं। करीब आठ महीने से वह किराया बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं लेकिन परिवहन विभाग की सुस्ती उन पर भारी साबित हो रही है। दरअसल, परिवहन मुख्यालय ने आरटीओ देहरादून की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी, जिसने किराया बढ़ोतरी का प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा था।
इस प्रस्ताव पर एक राय न होने की वजह से पिछले साल 23 अक्तूबर को हुई राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) की बैठक में परिवहन आयुक्त ने एक अन्य समिति बना दी थी। यह समिति भी आरटीओ प्रशासन देहरादून की अध्यक्षता में ही गठित की गई थी। इसमें लोक निर्माण विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (मैकेनिकल) के साथ ही आरटीओ प्रवर्तन हल्द्वानी, आरटीओ प्रशासन अल्मोड़ा और आरटीओ प्रवर्तन पौड़ी को बतौर सदस्य शामिल किया था।
तब यह भी कहा गया था कि यह समिति निश्चित समयावधि में अपनी रिपोर्ट देगी। हैरत की बात यह है कि रिपोर्ट तैयार करना तो दूर, अब तक न तो इस समिति की कोई बैठक हुई और न ही आरटीओ दून को किसी भी अन्य ने प्रस्ताव से संबंधित कोई जानकारी उपलब्ध कराई है।
इनके किराए पर होना है फैसला
रोडवेज बसों के साथ ही निजी बस, टैक्सी, मैक्सी, विक्रम, ऑटो, सिटी बस, ट्रकों की किराया बढ़ोतरी पर फैसला होना है। इसमें वह निजी बसें भी शामिल हैं जो कि पर्वतीय मार्गों पर संचालित होती हैं।
समिति का गठन हो गया था। हमने सभी संबंधित आरटीओ से किराया बढ़ोतरी पर बिंदुवार जानकारी मांगी थी, लेकिन किसी का भी कोई जवाब नहीं आया है। अब दोबारा रिमाइंडर भेजा जा रहा है। -दिनेश चंद्र पठोई, अध्यक्ष, किराया पुनर्निर्धारण समिति
चारधाम यात्रा सिर पर है। डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। कारोबार नुकसान में चल रहा है। हमने परिवहन मंत्री से समय मांगा है। उनसे मिलकर जल्द ही अपनी समस्या उनके सामने रखेंगे। -मनोज ध्यानी, संयोजक, उत्तराखंड बस ऑपरेटर संघ