लैंसडौन विस सीट पर दिग्गज भारत सिंह रावत ने पांच बार विजय पाई थी

आजादी के बाद 1951 में अस्तित्व में आई लैंसडौन विधानसभा सीट का इतिहास रोचक रहा है। अविभाजित उत्तर प्रदेश के जमाने से लेकर अब तक हुए विधानसभा चुनाव में आठ बार कांग्रेस के प्रत्याशियों के सिर जीत का सेहरा बंधा। यह सीट आजादी के बाद हुए पहले चुनाव से ही दिग्गजों की सीट रही। जिनकी राजनीति के क्षेत्र में जबरदस्त दखलअंदाजी रही। यह विधानसभा क्षेत्र राज्य के सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र में शुमार किया जाता था।

मल्ला सलाण से तल्ला सलाण चौबट्टाखाल से छूता हुआ भाग इसमें शामिल था। कई विकासखंडों जयहरीखाल, द्वारीखाल, धुमाकोट, यमकेश्वर, सतपुली, कोटद्वार, दुगड्डा के गांव इसमें  शामिल रहे। राज्य बनने के बाद इस विधानसभा में धुमाकोट, लैंसडौन, रिखणीखाल तहसीलों के चार ब्लाक शामिल किए गए। इस सीट पर भारत सिंह रावत पहले ऐसे राजनेता रहे, जिन्होंने विभिन्न दलों के प्रत्याशी के रूप में पांच बार जीत दर्ज की थी। 

राज्य निर्माण के बाद हुए वर्ष 2002, 2007 में इस सीट से कांग्रेस के डा. हरक सिंह रावत लगातार दो बार विजयी रहे। वर्ष 2012 व 2017 के चुनाव में पूर्व विधायक स्व. भारत सिंह रावत के बेटे भाजपा प्रत्याशी दिलीप सिंह रावत के सिर जीत का सेहरा बंधा। अब वे इस सीट पर हैट्रिक लगाने को आतुर हैं। वहीं, भाजपा और प्रदेश मंत्रिमंडल से बर्खाख्त हुए पूर्व वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की इस सीट पर नजर टिकी है। वह यहां से अपनी बहू अनुकृति गुसाईं रावत को चुनाव लड़वाना चाहते हैं। यदि कांग्रेस उन्हें इस सीट से टिकट मिलता है तो इसी सीट पर रोचक मुकाबला होने के आसार हैं।

कुल मतदाता-  83,428
पुरूष मतदाता – 44,331
महिला मतदाता- 39,074

अब तक चुने गए विधायक 
1952- राम प्रसाद नौटियाल (लैंसडौन ईस्ट)
– जगमोहन सिंह रावत (लैंसडौन वेस्ट)
1957- राम प्रसाद नौटियाल (कांग्रेस)
1962- मुकंदी लाल बैरिस्टर (निर्दलीय)
1967- भैरव दत्त धूलिया (स्वतंत्र पार्टी)
1969- चंद्रमोहन सिंह नेगी
1974- भारत सिंह रावत (कांग्रेस आई)  
1977- भारत सिंह रावत (जनता पार्टी)
1980- चंद्रमोहन सिंह नेगी (कांग्रेस आई)
1984- सुरेंद्र सिंह नेगी (कांग्रेस आई)
1989- भारत सिंह रावत (कांग्रेस आई)
1991- भारत सिंह रावत (कांग्रेस आई) 
1993- सुरेंद्र सिंह नेगी (निर्दलीय)
1996- भारत सिंह रावत (बीजेपी)
2002- डॉ. हरक सिंह रावत (कांग्रेस)
2007- डॉ. हरक सिंह रावत (कांग्रेस)
2012- दिलीप रावत (भाजपा)
2017- दिलीप रावत (भाजपा)
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विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख मुददे
सरकारी कार्यालयों का अन्यत्र स्थानांतरण, लैंसडौन जिला निर्माण की मांग और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने, सकमुंडा झील का निर्माण न होना, चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार, शिक्षालयों की जर्जरहालत, खेल मैदानोें का अभाव, पेयजल योजनाओं का अभाव, रोडवेज बसोें का संचालन बंद, कैंट क्षेत्र से जुड़ी स्थानीय नागरिकों की समस्याएं  शामिल हैं।
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मतदाताओं की राय
पिछले पांच सालों में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि ने कोई विकास कार्य नहीं कराए। जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है। उनके गांव गोयूं में पचास परिवार तीन किमी. दूर से पानी ढोने को मजबूर हैं। गांव तक पहुंचने के पक्का रास्ता नहीं है। क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाओं का भी नितांत अभाव है।
– विनोद कुमार,  गोयूं गांव
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 देहरादून से लैंसडौन के लिए सीधी बस सेवा का संचालन एक साल से ठप पड़ा है। जबकि सैन्य नगरी, पर्यटन नगरी होने के कारण भी यहां से देहरादून के लिए चलने वाली बस सेवा का संचालन दुबारा शुरू होना चाहिए था। कई बार लिखित रूप में अवगत कराया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 
– सुरेंद्र अग्रवाल, व्यापारी
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शिक्षा के क्षेत्र में कोई कार्य नहीं हुआ। उच्च शिक्षा के लिए बच्चोें के पास बाहर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सरकारी कार्यालय धीरे-धीरे खिसकते जा रहे है। जिससे व्यापार भी चौपट होता जा रहा है। इस स्थिति मेें पलायन की स्थिति विस्फोटक आकार ले चुकी है।
– सलीम खान, व्यापारी
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लैंसडौन विधानसभा में लोग मूलभूत सुविधाओं शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क आदि के लिए तरस रहे हैं। रोजगार, पलायन रोकने की दिशा में भी कोई कार्य नहीं हुआ। क्षेत्र की जनता डबल इंजन सरकार से खासी नाराज है और बदलाव का मन बना चुकी है। 
– अरविंद नेगी, नागरिक
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जनता ने वर्ष 2012 व 2017 में दो बार चुनाव जिताकर क्षेत्र के विकास करने का मौका दिया। वे क्षेत्र के विकास की कसौटी पर एकदम खरे उतरे हैं। उनका दस साल का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा रहा। बिजली की समस्याएं दूर करने के लिए नैनीडांडा में पृथक खंड की स्थापना मील का पत्थर साबित होगा। भैरवगढ़ी और नैनीडांडा पंपिंग पेयजल योजनाओं का शुभारंभ करवाया गया। सड़कों का जाल बिछाया गया है। कई सड़कों पर कार्य प्रगति पर है। 
– दिलीप रावत, विधायक लैंसडौन विधानसभा
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पिछले दस सालों से लैंसडौन विधानसभा में विकास कार्य ठप पड़े हैं। जिसके कारण यह क्षेत्र पिछड़ता जा रहा है। विधायक का कार्यकाल निराशाजनक रहा। विधायक के कार्यकाल में सरकारी कार्यालय स्थानान्तरित होते गए और वह सोते रहे। वह लैंसडौन को जिला बनाने और यहां से स्थानांतरित सरकारी कार्यालयों के वापसी का वादा भी पूरा नहीं कर पाए। 

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