कुख्यात अपराधी अबु सलेम ने दावा किया है कि भारत में उसकी कैद 2027 से ज़्यादा तक नहीं हो सकती. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से इस पर जवाब मांगा है. सलेम को 2 मामलों में उम्रकैद की सज़ा मिली हुई है. उसे 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था.
अबु सलेम के वकील ने क्या दी दलील?
अबु सलेम की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया है कि, भारत सरकार ने पुर्तगाल सरकार को लिखित आश्वासन दिया था कि उसे मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा. साथ ही, यह भी कहा था कि उसे किसी भी मामले में 25 साल से अधिक की सज़ा नहीं दी जाएगी. मुंबई की टाडा कोर्ट में मुकदमा चलाते समय ऐसी धाराएं जोड़ी गईं, जिनमें मृत्युदंड या उम्रकैद की सज़ा हो सकती है. यह मसला पुर्तगाल की कोर्ट में उठा. जिसके बाद वहां की कोर्ट ने प्रत्यर्पण को रद्द मानने का आदेश दिया. इसके बाद भी भारत में मुकदमा चलता रहा.
सजा देते हुए कोर्ट ने क्या कहा था?
अब सलेम के वकील ऋषि मल्होत्रा ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसे 2 मामलों में उम्रकैद की सज़ा मिली है. 2015 में टाडा कोर्ट ने कारोबारी प्रदीप जैन की हत्या के मामले में अबु सलेम को आजीवन कारावास की सज़ा दी. 2017 में टाडा कोर्ट ने ही 1993 मुंबई ब्लास्ट मामले में भी उसे उम्रकैद की सज़ा दी. दोनों ही मामलों में कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार की तरफ से किसी विदेशी सरकार को दिया गया आश्वासन कोर्ट पर लागू नहीं होता. सरकार चाहे तो सीआरपीसी के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल कर एक तय अवधि के बाद दोषी को रिहा कर सकती है.