स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और स्वामी सदानंद होंगे शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी

जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने से उनके उत्तराधिकारी तय हो गए हैं। अभी तक स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती दो पीठों ज्योतिष पीठ और द्वारकाशारदा पीठ के शंकराचार्य थे। अब दोनों पीठ के अलग अलग शंकराचार्य होंगे। ज्यातिष पीठ पर उनके प्रतिनिधि शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को नया शंकराचार्य बनाया गया है।

ज्योतिष पीठ पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और द्वारकाशारदा पीठ पर स्वामी सदानंद सरस्वती के नाम की घोषणा गोलोकवासी स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के पार्थिव शरीर के समक्ष की गई। परमहंसी आश्रम में वैदिक सविधान के अनुरूप दंडी संन्यासी जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के पार्थिव शरीर को आज शाम 5:00 बजे भू समाधि दी जानी है समाधि से पूर्व किए जाने वाले कर्मकांड का संपादन इस वक्त जबलपुर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में किया जा रहा है।

ज्यातिषपीठ के शंकराचार्य बनाए गए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का वाराणसी से गहरा नाता है। किशोरावस्था से ही काशी के केदारखंड में रहकर संस्कृत विद्या अध्ययन करने वाले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से शास्त्री और आचार्य की शिक्षा ग्रहण की है। इस दौरान छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के महामंत्री भी रहे।

वहीं, द्वारकाशारदापीठ पर स्वामी सदानंद सरस्वती को शंकराचार्य बनाया गया है। बताया जाता है कि ज्योतिष पीठ का उत्तराधिकारी अविमुक्तेश्वरानंद और द्वारकाशारदा पीठ का उत्तराधिकारी स्वामी सदानंद सरस्वती को पहले ही बनाया गया था। किंतु यह बात कभी भी आधिकारिक रूप से सार्वजनिक तौर पर नहीं कही गई थी। ऐसे में स्वरूपानंद सरस्वती के निधन के बाद से ही इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे कि दोनों पीठों का अगला शंकराचार्य कौन कौन होगा।

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