ऑपरेशन सिंदूर में पाक को करारा जवाब देने वाले 16 बीएसएफ वीर सम्मानित

देश के 79वें स्वतंत्रता दिवस पर सीमा सुरक्षा बल (BSF) के 16 जांबाजों को ‘वीरता पदक’ से नवाजा गया। ये सभी जवान मई 2025 में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान की गोलाबारी और ड्रोन हमलों का डटकर मुकाबला करने वाले योद्धा हैं। इसके अलावा, विशिष्ट सेवा के लिए पांच कर्मियों को राष्ट्रपति पदक (PSM) और उत्कृष्ट सेवा के लिए 46 अधिकारियों व जवानों को ‘MSM’ प्रदान किया गया।

जोखिम भरे मिशन में भी डटे रहे जवान
जम्मू सेक्टर में तैनात एसआई व्यास देव और कांस्टेबल सुद्दी राभा को अग्रिम चौकियों तक गोला-बारूद पहुँचाने की जिम्मेदारी थी। मिशन के दौरान दुश्मन का 82 मिमी मोर्टार शेल उनके पास आकर फटा, जिससे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। जानलेवा चोटों के बावजूद उन्होंने ड्यूटी जारी रखी। व्यास देव को बाद में पैर गंवाना पड़ा, जबकि राभा ने भी हार नहीं मानी। उनके साहसिक योगदान पर दोनों को ‘वीरता पदक’ मिला।

ड्रोन मार गिराने से लेकर जवाबी कार्रवाई तक
बीओपी खारकोला पर 7-10 मई के बीच पाकिस्तानी सेना की भारी गोलीबारी और ड्रोन हमले हुए। एसआई मोहम्मद इम्तेयाज के नेतृत्व में जवानों ने एक ड्रोन को मार गिराया। इसके तुरंत बाद हुए विस्फोट में हेड कांस्टेबल बृज मोहन सिंह, कांस्टेबल देपेश्वर बर्मन, भूपेंद्र बाजपेयी, राजन कुमार और बसवराज शिवप्पा सुंकड़ा घायल हो गए। फिर भी उन्होंने मोर्चा नहीं छोड़ा। अभिषेक श्रीवास्तव समेत इन सभी को वीरता पदक से सम्मानित किया गया।

जवान की जान बचाने वाला अभियान
डिप्टी कमांडेंट रविंद्र राठौर और उनकी टीम ने सीमा पर एक घायल जवान की सुरक्षा के लिए दुश्मन की गोलाबारी के बीच सफल अभियान चलाया। उनके निस्वार्थ साहस को भी वीरता पदक से सम्मानित किया गया।

दुश्मन की निगरानी व्यवस्था ध्वस्त की
बीओपी जबोवाल पर 10 मई को हुई भीषण गोलाबारी में एएसआई उदय वीर सिंह ने पाकिस्तानी निगरानी कैमरा नष्ट कर दिया। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद वे मोर्चे पर डटे रहे और दुश्मन के HMG ठिकाने तबाह किए। उन्हें भी वीरता पदक मिला।

गोला-बारूद आपूर्ति का साहसिक कार्य
बीओपी करोटाना खुर्द पर गोलाबारी के बीच एएसआई राजप्पा बीटी और कांस्टेबल मनोहर ज़ालक्सो ने गोला-बारूद की कमी पूरी की। दोनों घायल हुए, लेकिन मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया।

लगातार 48 घंटे की जवाबी फायरिंग
53वीं बटालियन के सहायक कमांडेंट आलोक नेगी, कांस्टेबल कंदर्प चौधरी और वाघमारे भवन देवराम ने दुश्मन की लगातार गोलाबारी के बीच 48 घंटे तक मोर्टार से सटीक जवाबी कार्रवाई की, जिससे दुश्मन की पोजीशन कमजोर पड़ी और कोई हताहत नहीं हुआ। इन्हें भी वीरता पदक प्रदान किया गया।

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