श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में 75% वोट, हिंसा की आशंका; लगा कर्फ्यू

श्रीलंका में जनविद्रोह के बाद हुए पहले राष्ट्रपति चुनाव के दौरान शनिवार को करीब 75 फीसदी मतदान हुआ है, हालांकि चुनाव बाद हिंसा की आशंका को देखते हुए श्रीलंका में शनिवार रात 10 बजे से रविवार सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लागू कर दिया गया है. राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि मतों की गिनती के दौरान अप्रिय घटनाओं को रोकने के कर्फ्यू लागू किये गये हैं.

बता दें कि श्रीलंका के 22 जिलों में शनिवार को सुबह 7 बजे से शाम चार बजे तक मतदान हुए हैं. मतदान के दौरान हालांकि हिंसा की कोई घटना नहीं घटी है. चुनाव अधिकारी ने दावा किया है कि करीब 75 फीसदी मतदान हुआ है. हालांकि इससे पहले नवंबर 2019 में हुए पिछले राष्ट्रपति चुनाव में 83 प्रतिशत मतदान हुआ था. पिछले चुनाव की तुलना में इस बार मतदान के प्रतिशत में गिरावट दर्ज की गयी है.

इस चुनाव में 17 मिलियन से अधिक पंजीकृत मतदाताओं थे. इनमें से करीब 75 फीसदी ने मतदान में हिस्सा लिया. अप्रैल 2022 में जनविद्रोह के बाद रानिल विक्रमसिंधे को राष्ट्रपति पद पर बैठाया गया था. पिछले दो सालों में रानिल विक्रमसिंधे ने श्रीलंका की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कई कदम उठाए थे और वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में प्रतिद्वंद्विता कर रहे हैं. इस चुनाव में कुल 38 उम्मीदवार मैदान थे, हालांकि कोई भी महिला उम्मीदवार नहीं थीं.

राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की प्रतिष्ठा दांव पर

मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के लिए यह चुनाव काफी अहम हैं, क्योकि आर्थिक सुधार के बाद उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, जबकि उनका मुकाबला मुख्य विपक्षी नेता सामगी जन बालावेगया (एसजेबी) के साजिथ प्रेमदासा और नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के अनुरा कुमारा दिसानायके से है.

मतदान के दौरान करीब 8,000 मतदान पर्यवेक्षकों को तैनात किया गया था. इनमें एशियाई चुनाव नेटवर्क के 116 अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक, यूरोपीय संघ और राष्ट्रमंडल के पर्यवेक्षक शामिल थे. इसके अतिरिक्त दक्षिण एशियाई देशों के सात पर्यवेक्षकों भी तैनाती की गयी थी.

अप्रैल 2022 में हुआ था जनविद्रोह

1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता हासिल करने के बाद श्रीलंका अप्रैल 2022 के मध्य में आर्थिक संकट में फंस गया था और गृहयुद्ध जैसी स्थिति के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा था. उस समय ही रानिल विक्रमसिंघे को संसद की ओर से राष्ट्रपति नियुक्त किया गया था.

शनिवार को मतदान करने के बाद विक्रमसिंघे ने कहा कि यह श्रीलंका की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, आर्थिीक मंदी के बाद अब देश में सकारात्मक विकास की दिशा में बढ़ रहा है और आर्थिक स्थिति में रिकवरी हो रही है.

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