ऑस्ट्रेलिया मे सैनिक बेस बनाएगा अमेरिका



गुआम और ऑस्ट्रेलिया में अमेरिका के बेस बढ़ाने को लेकर पेंटागन की एक रिपोर्ट पर मंगलवार को चीन ने कड़ी आपत्ति दर्ज की। चीन ने कहा कि यह रिपोर्ट वाशिंगटन के उन प्रयासों को पूरी तरह उजागर करता है जिनके जरिए वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र का सैन्यीकरण करना चाहता है और इस पर कब्जा करना चाहता है। अमेरिका के एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने सोमवार को कहा था कि चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिकी सेना को और बेहतर तरीके से तैयार करने के लिए पेंटागन गुआम और ऑस्ट्रेलिया में अपने बेस बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा।

यह कदम रक्षा विभाग की वैश्विक मुद्रा समीक्षा से प्रेरित है, जिसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने फरवरी में पद ग्रहण करने के तुरंत बाद रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन को आदेश दिया था। इस नीति के लिए उप अवर सचिव की भूमिका निभा रहीं डॉ. मारा कार्लिन ने सोमवार को एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा था कि बाइडन ने ऑस्टिन के निष्कर्षों और वैश्विक मुद्रा समीक्षा की ओर से दी गई सिफारिशों को हाल ही में अनुमति दी है।

अधिकारी ने बताया था कि समीक्षा में कहा गया है कि चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिकी रक्षा विभाग को गुआम और ऑस्ट्रेलिया में इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाना चाहिए और प्रशांत द्वीपों पर सैन्य निर्माण को प्रमुखता देनी चाहिए। समीक्षा में यह भी कहा गया है कि सैन्य भागीदारी गतिविधियों के लिए विस्तृत क्षेत्रीय पहुंच पर ध्यान देना चाहिए। 

कार्निल ने ब्रीफिंग के दौरान कहा था, ऑस्ट्रेलिया में आपको नए रोटेशनल फाइटर और बॉम्बर एयरक्राफ्ट की तैनाती देखने को मिलेगी। आप जमीन पर प्रशिक्षण, बढ़ा हुआ लॉजिस्टिक्स सहयोग देखेंगे। हिंद-प्रशांत क्षेत्र और गुआम में बुनियादी ढांचों में सुधार की बड़ी श्रृंखला देखने को मिलेगी। इस वैश्विक मुद्रा समीक्षा में रक्षा विभाग को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में युद्ध की तैयारियों को बेहतर करने के लिए और गतिविधियां बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए दुनिया के अन्य हिस्सों में तैनात सैनिकों और उपकरणों की संख्या में कमी करने का निर्देश भी दिया गया है। 

इस प्रेस ब्रीफिंग को लेकर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि पेंटागन की यह रिपोर्ट उसके इरादों को पूरी तरह उजागर करते हैं कि वह कथित हिंद-प्रशांत क्षेत्र का सैन्यीकरण करना चाहता है। चीन को घेरने के लिए वह हर संभव प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि चीन ने अपनी रक्षा क्षमताओं का विकास विशुद्ध रूप से अपनी सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा करने के लिए और क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा बनाए रखने के लिए किया है।

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