डीएमके नेता उदयनिधि के बयान पर अमित शाह ने किया पलटवार

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को डीएमके और उनके ‘इंडिया’ गठबंधन सहयोगी कांग्रेस के नेताओं पर जमकर हमला बोला है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी पर विवाद को लेकर ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बयान दिया है।

उन्होंने कहा कि वोट बैंक की राजनीति और तुष्टिकरण के लिए सनातन धर्म का अपमान किया गया है। इस बयान से सीधे तौर पर सनातन धर्म को खत्म करने की कोशिश की गई है। शाह ने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बेटे उदयनिधि सनातन धर्म को खत्म करने के लिए कह रहे है। भाजपा की दूसरी परिवर्तन संकल्प यात्रा की शुरूआत के अवसर पर डूंगरपुर के बेणेश्वर धाम में आयोजित एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने ये बायन दिया है। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति के लिए सनातन धर्म की बात की है। उन्होंने सनातन धर्म का अपमान किया है।

शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि हिंदू संगठन लश्कर-ए-तैयबा से भी ज्यादा खतरनाक हैं। उन्होंने कहा, “आप हिंदू संगठनों की तुलना लश्कर-ए-तैयबा से करते हैं। आपके मंत्री कहते थे कि हिंदू आतंकवाद चल रहा है। विपक्षी गठबंधन को घमंडिया गठबंधन बताते हुए शाह ने कहा कि गठबंधन वोट बैंक की राजनीति के लिए किसी भी हद तक जा सकता है, लेकिन वे जितना सनातन (धर्म) के खिलाफ बात करेंगे, उतना ही कम नजर आएंगे।  

उन्होंने कहा, ‘‘वे कहते हैं कि अगर मोदी जीत गए तो सनातन शासन आ जाएगा। सनातन लोगों के दिलों पर राज कर रहा है। मोदी ने कहा है कि देश संविधान के आधार पर चलेगा। मोदी ने देश को सुरक्षित करने के लिए काम किया है।’’ अयोध्या में राम मंदिर पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वर्षों तक राम मंदिर को बाधित किया लेकिन अदालत के आदेश के बाद मोदी ने भूमि पूजन किया और जनवरी में उसी भूमि पर जहां राम का जन्म हुआ था, भव्य राम मंदिर बनने जा रहा है। उन्होंने कहा विपक्षी गठबंधन इसे रोक नहीं सकता।

उदयनिधि ने दिया था ये बयान
बता दें कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने शनिवार दो सितंबर को सनातन धर्म पर बयान दिया है जिसपर भयंकर विवाद शुरू हो गया है। उन्होंने सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया से की है, जिसके बाद हंगामा हो गया है। उदयनिधि ने कहा कि इसका सिर्फ विरोध नहीं होना चाहिए। इसका सफाया होना चाहिए।  

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